24 मार्च, 2020. इस तारीख़ ने एक तरफ़ देश के लोगों को घरो में बंद कर दिया, वहीं, दूसरी ओर करोड़ों भारतीयों की आंखें भी खोल दीं. इस दिन मालूम पड़ा कि अपने ही देश में मेहनत-मज़दूरी करने वाले लाखों लोग सरकार की नज़र में इंसान नहीं, बल्कि प्रवासी हैं. वो प्रवासी जो बेसहारा तो थे, लेकिन अब लॉकडाउन के बाद बेहाल होने वाले थे.
घर-गांव से दूर इन मज़दूरों का पुरसा हाल लेने वाला कोई नहीं था. ऐसे में ये पैदल, साइकिल, ऑटो, ट्रक के सहारे अपने घरों को लौटने लगे, लेकिन इनका ये सफ़र बेहद चुनौतियों भरा था. किसी प्रवासी मज़दूर के हज़ारों किमी का सफ़र पैदल तय करते-करते तलवे उधड़ गए, तो कोई घर पहुंचने की आंस में ज़िंदगी से ही दूर हो गया.
आज हम प्रवासी मज़दूरों के साथ हुए ऐसे ही हादसों के बारे में बताएंगे, जिन्हें लॉकडाउन के एक साल बाद भी यादकर हमारी रूंह कांप जाती है.
1. घर लौट रहे 16 प्रवासी मजदूरों की मालगाड़ी से कट कर मौत
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मालगाड़ी ने 16 मज़दूरों को कुचल दिया था. ये मज़दूर लॉकडाउन के बीच, पटरियों के रास्ते पैदल ही अपने घर जाने को मजबूर थे. क़रीब 40 किमी का सफ़र कर ये औरंगाबाद-जालना रेलवे लाइन पर पहुंचे थे. इस बीच ये इतना थक चुके थे कि रेलवे पटरी पर ही सो गए. जिन रोटियों को कभी इन मज़दूरों ने अपना पसीना बहाकर कमाया था, वो ही उनके इर्दगिर्द ख़ून से सनी बिखरी पड़ी थीं.
2. 2 ट्रकों की भिड़ंत में 24 मज़दूरों की मौत
उत्तर प्रदेश के औरेया में प्रवासी मज़दूर एक दर्दनाक सड़क हादसे का शिकार हो गए थे. इस हादसे में 24 मज़दूरों की मौत हुई, जबकि 50 से ज़्यादा घायल हो गए थे. ये मज़दूर एक ट्रक में सवार होकर राजस्थान और हरियाणा से अपने गांव जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही ट्रकों में भिड़ंत हो गई. बताया गया था कि इसमें ज़्यादातर मज़दूर झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और यूपी के रहने वाले थे.
3. ट्रक और बस की टक्कर में 9 मज़दूरों की हुई मौत
बिहार भागलपुर जिले के नवगछिया ये दर्दनाक हादसा हुआ था. यहां एक ट्रक और बस की आमने सामने हुई टक्कर में 9 प्रवासी मज़दूरों की मौत हो गई. ये सभी पश्चिम बंगाल से वापस लौटकर बिहार के पूर्वी और पश्चिमी चंपारन आ रहे थे. बतौर पुलिस, प्रवासी श्रमिक साइकिल पर अपने घरों के लिए निकले थे, लेकिन रास्ते में वो एक लोहे के खंभों से भरे ट्रक पर सवार हो गए. जब ट्रक और बस में टक्कर हुई तो ये मज़दूर पोल के नीचे ही दब गए. वहीं, बस भी प्रवासी मज़दूरों को लेकर दरभंगा से बांका जा रही थी.
4. सड़क हादसे में 5 मज़दूरों की मौत
मध्यप्रदेश के सागर में भी बड़ी ट्रक दुर्घटना हुई थी. यहां दलबतपुर से मज़दूरों को लेकर जा रहा ट्रक पलट गया. इस हादसे में 5 मज़दूरों की मौत हुई थी, जबकि 20 से ज़्यादा घायल हो गए थे. स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया था.बताया गया था कि इनमें से ज़्यादतर मज़दूर महाराष्ट्र से बस्ती की ओर जा रहे थे.
5. भूख-प्यास से तड़पकर मज़दूर की मौत
महाराष्ट्र में गन्ने के ख़ेत में काम करने वाले 40 वर्षीय मज़दूर पिंटू पवार की भूख-प्यास से तड़पकर मौत हो गई. वो पुणे जिले से पैदल ही चलकर परभणी स्थित अपने गांव जा रहा था. वो 8 मई को अपने भाई के घर से निकला और 14 मई को अहमदनगर पहुंचा और वहां से क़रीब 30-35 किमी चलकर धनोरा पहुंच गया. उसके पास न तो पैसे थे और न ही मोबाइल फ़ोन, उसने किसी शख़्स से फ़ोन लेकर 14 मई को घरवालों से बात की थी. जब वो धनोरा पहुंचा तो काफ़ी थक चुका था और टिन के शेड के नीचे आराम करने लगा. वहां से गुज़रने वालों को जब बदबू लगी तो पुलिस को सूचना दी गई. मौक़े पर पहुंची पुलिस ने देखा कि वो मर चुका था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि उसकी मौत ज़्यादा चलने, भूख और शरीर में पानी की कमी के चलते 15 मई को हुई थी.
6. चलते-चलते मज़दूर ने रास्ते में ही तोड़ा दम
प्रवासी मज़दूर रणबीर सिंह दिल्ली से मध्यप्रदेश स्थित अपने घर पहुंचने के लिए बेताब थे. लॉकडाउन था, कोई साधन नहीं. ऐसे में उन्होंने पैदल ही जाने का तय किया. दिल्ली से 200 किलोमीटर तक चलकर आगरा पहुंच गए. अब सिर्फ 100 किलोमीटर का सफ़र और तय करना था. लेकिन कदमों की चाल के आगे दिल की रफ़्तार धीमी पड़ गई. आगरा में उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई. मंज़िल पर पहुंचने की कोशिश में जिंदगी का सफ़र ख़त्म हो गया. 38 साल के रणबीर ने अपनी पत्नी को फ़ोन भी किया था, जिसमें उनके आख़िरी शब्द थे, ‘लेने आ सकते हो तो आ जाओ.’
7. 45 वर्षीय मज़दूर की ट्रेन में हुई भूख से मौत
#VERIFIED
— Saahil Murli Menghani (@saahilmenghani) May 28, 2020
👉12th story of my investigation-#OperationShramikTrains
👉Migrant dies in train from Mumbai to UP. A 24 hour train took 60+ HOURS with NO food by railways
👉’Uncle took 6 medicines with BISCUITS’
👉His nephew tells me how he helplessly witnessed his uncle die
1/2 pic.twitter.com/tOJTjo8EVy
मुंबई से वाराणसी आ रही श्रमिक ट्रेन में एक 45 वर्षीय व्यक्ति की भूख से मौत हो गई थी. क्योंकि जिस ट्रेन को आम दिनों में पहुंचने में महज़ 24 घंटे लगते थे, उसी ट्रेन को लॉकडाउन के दौरान 60 घंटे लग गए. 1.5 दिन से शख़्स भूखा था, ऐसे में उसके भतीजे ने प्रधानमंत्री और रेलवे को ट्वीट किया. IRCTC ने उन्हें अगले स्टेशन पर खाना देने का वादा किया लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक, शख़्स ने एंजियोप्लास्टी करवाई थी. उसे दवाईंया लेनी पड़ती थीं. परिवार के पास खाने को कुछ नहीं था, ऐसे में शख़्स ने सिर्फ़ बिस्कुट खाकर छह गोलियां खा लीं. ट्वीट करने के 8 घंटे बाद ही शख़्स की मौत हो गई थी.
लॉकडाउन में एक बात जो प्रवासी मज़दूरों के दिलो-दिमाग़ पर हमेशा के लिए बैठ गई है कि उनका, उनके सिवाए और कोई नहीं है. अग़र वो किसी भी इमरजेंसी में दूसरे शहरों में फ़ंसते हैं तो सरकार उनकी ज़िम्मेदारी नहीं लेगी.