दो साल तक आम के पेड़ पर रहने के बाद अब कर्नाटक के Gejja नाम के एक शख़्स को उसकी ज़मीन वापस मिल गई है. असल में दो साल पहले जब प्रशासन ने जंगल में Gejja की झोपड़ी गिरा दी थी, तो विरोध में वो एक आम के पेड़ पर रहने लगा था. दो साल की इस लड़ाई के बाद आखिर अब उसे और उसकी पूरी जनजाति को ज़मीन के अधिकार मिल गए हैं.

Jenu Kuruba जनजाति के लोगों को Forest Rights के तहत अपनी ज़मीन वापस मिल गई है और अब वो उस पर अपना घर दोबारा बना सकते हैं.

मैसूर से लगभग 90 किलोमीटर दूर Periyapatna Taluk के दो दर्जन परिवारों को ये फ़ायदा मिलेगा. डिप्टी कमिश्नर डी रणदीप ने कहा कि अधिकारियों की एक टीम Gejja से मिलने के लिए गई थी. अब वो चाहे तो जंगल में रह सकता है या फिर वन विभाग द्वारा पुनर्वास पैकेज को लेकर बाहर भी जा सकता है.

रणदीप ने बताया कि पास के ही गांव Taddibokke Haadi का भी एक शख़्स पेड़ पर रहने लगा था. उसे भी उसकी ज़मीन वापस दे दी गई है.

ये था मामला

नविलुरू ग्राम पंचायत के एक अधिकारी एम.के. देवराज ने बताया कि वन अधिकारियों ने पूरे इलाके की ज़मीन को सोलर फ़ेंसिंग के लिए सपाट कर दिया था. इसी वजह से Gejja की झोपड़ी भी गिरा दी गई थी.

गांव के अन्य परिवारों को भी कई तरह की मुश्किलें झेलनी पड़ी थीं. उन्हें अपने घर का विस्तार करने की इजाज़त नहीं थी, क्योंकि वो जंगल में रहते थे. हालांकि, फ़ेंसिंग की वजह से वो जंगल से पूरी तरह कट भी गए थे.

इसके विरोध में Gejja ने आम के पेड़ पर बांस का घर बना लिया. ये बांस उसके पिता ने दस साल पहले लगाया था. Gejja की पत्नी रानी गेट चली गई. वो वहां बड़े बेटे के साथ रहती हैं और घरों में काम कर के अपना खर्च चलाती हैं. Gejja को अपने इस Tree House पर कई तरह की परेशानियां हुईं. एक बार तो हाथियों ने उसका घर भी गिरा दिया था, लेकिन वो अपनी ज़िद से टस से मस नहीं हुआ.

आखिरकार उसने अपने ज़मीन के अधिकार की लड़ाई जीत ली है और उसे जंगल में अपना घर बनाने की इजाज़त मिल गई है.