कश्मीर इन दिनों जिन हालातों से गुज़र रहा है उससे सारा देश वाकिफ़ है. पत्थरबाज़ जिस तरह से छुप कर सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं, उसके सामने जवान बेबस नज़र आते हैं. जवानों की इसी बेबसी को देखते हुए मध्य प्रदेश की एक आदिवासी जनजाति आगे आई है.
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झाबुआ ज़िले में रहने वाली भील जनजाति के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिख कर जवानों के लिए मदद की पेशकश की है. इस खत में उन्होंने बताया कि वो पत्थरबाज़ों से निपटने के लिए जवानों को अपनी प्राचीन हथियारों की तकनीक सिखाना चाहते हैं. उनकी इस तकनीक का नाम ‘गोफान’ है, जो दूर से ही पत्थरबाज़ों को निशाना बनाने में सक्षम है.
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इस तकनीक में एक रस्सी के सिरे से पत्थर को कपड़े के साथ बांधा जाता है और दूर से ही हवा में घुमा कर फैंका जाता है. इस तकनीक का इस्तेमाल शिकार और रक्षा के लिए किया जाता है.
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आदिवासी इलाके में काम करने वाले एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि ये तकनीक पत्थर से ज़्यादा चोट करने के साथ ही दूर तक प्रहार करता है. ‘गोफान’ का इस्तेमाल करने वाले एक आदिवासी युवक भानु भूरिआ का कहना है, ‘पत्थर का जवाब पत्थर से ही दिया जा सकता है, हम उन लोगों को सबक सिखाना चाहते हैं, जो देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.’