जलवायु परिवर्तन के बारे में हम बचपन से ही पढ़ते आ रहे हैं, पर शायद ही हम में से किसी ने इसके बारे में गंभीरता के साथ सोचा हो. हर साल ‘क्लाइमेट चेंज वार्ता’ के नाम पर कई देश इकट्ठा हो कर इसके बारे में विचार-विमर्श करते हैं और अपने-अपने देश लौट कर उन्हें भूल जाते हैं.

जलवायु परिवर्तन का असर हम कई बार अपने आस-पास ही देखते रहते हैं, पर कुछ पल उसके बारे में सोच कर फिर उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं. हमारी यही नज़रअंदाज़ी एक बड़े खतरे की आहट है, जिसे हाल ही में अंटार्टिका में देखा गया. ख़बर के मुताबिक, अंटार्टिका से करोड़ों के वजन वाला 5800 वर्ग किलोमीटर में फैला हिमखंड टूट कर अलग हो गया है.

इस हिमखंड के आकार का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये दिल्ली से भी 4 गुना ज़्यादा बड़ा है. इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इसकी जानकारी बुधवार को दी. शोधकर्ताओं का कहना है कि ‘दशकों से अंटार्टिका के Larsen क्षेत्र से कई छोटे-मोटे हिमखंड टूटते रहे हैं, पर ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई इतना बड़ा हिमखंड यहां से अलग हुआ हो.’

शोध टीम के सदस्य प्रोफ़ेसर Luckman का कहना है कि ‘ये अब तक का सबसे बड़ा हिमखंड है, जो हमें चेता रहा है कि यदि हमने अब भी जलवायु के बारे में नहीं सोचा, तो हमारा भविष्य खतरे में है.’ वैज्ञानिकों ने इस हिमखंड को A68 का नाम दिया है. उनका कहना है कि ‘इससे समुंद्र का स्तर 10 सेंटीमीटर तक बढ़ जायेगा.’