अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने के एक सप्ताह के अंदर ही बड़ा फैसला लेते हुए सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर पाबंदी लगा दी है, जिसे पूरी दुनिया में मिश्रित प्रतिक्रिया मिल रही है. ट्रंप ने जिन देशों के नागरिकों के आने पर रोक लगाई है उनमें इराक, ईरान, सीरिया, लीबिया, यमन, सूडान और सोमालिया शामिल हैं. यह रोक फिलहाल 90 दिनों के लिए लगाई गई है, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है.
ट्रंप ने इसी के साथ-साथ अमेरिका के शरणार्थी कार्यक्रम पर भी चार महीने के लिए रोक लगा दी है, यानि अब अमेरिका में किसी भी देश के शरणार्थी चार महीनों तक प्रवेश नहीं कर सकेंगे. राष्ट्रपति के तौर पर पहली बार रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) के दौरे पर गए ट्रंप ने दोनों शासकीय आदेशों पर हस्ताक्षर किए. लेकिन विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी समेत पूरी दुनिया में इन आदेशों का विरोध शुरू हो गया है.

डोनाल्ड ट्रंप का ये फैसला आखिर क्या है?
अमेरीका में शरणार्थियों को शरण देने पर 120 दिनों की रोक.
सीरिया के शरणार्थियों पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध.
सात मुसलमान बहुसंख्यक देशों – इराक़, सीरिया, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन से आने वाले लोगों पर 90 दिनों के लिए रोक. इस रोक में यूएन वीज़ा और राजनयिक वीज़ा शामिल नहीं हैं.
2017 में अधिकतम 50 हज़ार प्रवासी स्वीकार किए जाएंगे. 2016 में इन प्रवासी की संख्या 86 हजार के आस-पास थी.
अपने देशों में दमन और परेशानियों का सामना कर रहे धार्मिक अल्पसंख्यकों को वरीयता दी जाएगी. ट्रंप ने खासतौर पर सीरियाई ईसाइयों का ज़िक्र किया है.
इसमें वे सभी शामिल हैं जिनके पास ब्रिटेन या कनाडा जैसे देशों की दोहरी नागरिकता है.
ट्रंप के इस फैसले के ख़िलाफ़ दायर किए गए एक मुक़दमे के बाद अमेरिका के एक जज ने अमेरिकी हवाई अड्डों पर फंसे हुए वीज़ा धारकों और शरणार्थियों को वापस भेजने पर अस्थायी रोक लगा दी है. मुक़दमा दायर करने वाले समूह अमेरिकन सिविल लिबर्टीज़ यूनियन के मुताबिक़ हवाई अड्डों पर 100 से लेकर 200 लोगों को रोक कर रखा गया था. जबकि अमेरिकी प्रशासन के अनुसार ये संख्या 109 थी.

ऐसे तमाम दावों के बावजूद भी उन सात देशों से आए हुए ग्रीन कार्ड होल्डरों ( वे लोग जिनके पास अमरीका की नागरिकता है) पर असर नहीं पड़ेगा, अधिकारियों ने इस ओर इशारा किया है कि आदेश आने के समय अमरीका से बाहर मौजूद ऐसे लोगों के अमरीका आने पर उनकी विशेष जांच ज़रूर हो सकती है. व्हाइट हाउस अधिकारी के मुताबिक़, इन सात देशों की यात्रा करने वाले अमेरिकी नागरिकों को भी पूछताछ के लिए रोका जा सकता है.
हालांकि, इस बात पर बहस जारी है कि ये आदेश क़ानूनी हैं या गैरक़ानूनी क्योंकि अमरीका के इतिहास में पहले भी कुछ खास देशों और क्षेत्रों से आने वालों पर प्रतिबंध लग चुका है. लेकिन 1965 में अमरीकी संसद ने एक क़ानून पास किया था जिसके तहत, “जाति, लिंग, राष्ट्रीयता या जन्म के या गृह स्थल के आधार पर किसी भी अप्रवासी वीज़ा आवेदन के ख़िलाफ भेदभाव नहीं किया जाएगा”.

अमेरिका के इस फैसले के बाद कई देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. फ्रांस, कनाडा, यूके जैसे देश भी इस फैसले की आलोचना कर चुके हैं.
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद ज़रीफ़ ने सिलेसिलेवार ट्वीटस कर ट्रंप के इस फैसले की आलोचना की है. उन्होंने इन ट्वीट्स में #MuslimBan हैशटैग का इस्तेमाल किया था.
उन्होंने लिखा, “मुसलमानों पर लगे इस बैन को इतिहास में कट्टरपंथियों और उनके समर्थकों के लिए एक बड़े उपहार के रूप में याद किया जाएगा.” एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, “सभी को एक ही तराज़ू में तौलने और भेदभाव करने से चरमपंथी समूहों के नेताओं को इन कमजोरियों का फ़ायदा उठाने का मौक़ा मिलेगा.”
जहां अमेरिका सात देशों पर प्रतिबंध लगा चुका था, वहीं कनाडा के प्रधानमंत्री ने इस फैसले के फौरन बाद शरणार्थियों को अपने देश में स्वागत किया है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्वीट कर कहा कि ”जो लोग अत्याचार, आतंकवाद और जंग से भाग रहे हैं, कनाडा उनका स्वागत करेगा, भले आप किसी भी मज़हब को माननो वाले हों. विविधता ही हमारी ताक़त है.”

इसके अलावा जस्टिन ने #WelcomeToCanada के साथ एक तस्वीर भी ट्वीट की, जिसमें वो एक छोटी सी लड़की के साथ नजर आ रहे थे. गौरतलब है कि पूरी दुनिया में कनाडा के पीएम को शरणार्थियों को शरण देने के मामले में बेहद इज़्ज़त से देखा जाता रहा है. इससे पहले भी उन्होंने कई बार युद्ध जैसे हालत से भागकर कनाडा पहुंचने वाले लोगों का स्वागत किया है.
ट्रंप ने कहा अमेरिका जब आश्वस्त हो जाएगा कि अगले 90 दिनों में यहां सर्वाधिक सुरक्षित नीतियां लागू हो चुकी हैं और उनकी समीक्षा की जा चुकी है तब सभी देशों के लोगों के लिए वीज़ा फिर से जारी किए जाने लगेंगे.
उन्होंने कहा कि ‘सीरिया में भयानक संकट से जूझ रहे लोगों के प्रति भी मेरी भावनाएं हैं, लेकिन मेरी पहली प्राथमिकता हमेशा ही हमारे देश की सुरक्षा और सेवा रहेगी. हालांकि, राष्ट्रपति होने के नाते मैं उन पीड़ित लोगों की मदद करने के तरीके भी खोज निकालूंगा.’
अमेरिका को प्रवासियों का एक गौरवान्वित राष्ट्र बताते हुए ट्रंप ने कहा कि देश दमन के शिकार और इससे बचकर भाग रहे लोगों के प्रति दया दिखाता रहेगा, लेकिन वह ऐसा अपने नागरिकों और सीमा की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए करेगा.
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका हमेशा से आजादी की धरती और साहसी लोगों का घर रहा है. उन्होंने कहा, ‘हम इसे सुरक्षित रखेंगे, मीडिया यह बात जानता है लेकिन कहने से बचता है.’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी नीतियां बराक ओबामा की नीतियों जैसी ही हैं, ओबामा ने भी वर्ष 2011 में इराक के शरणार्थियों को वीज़ा जारी करने पर छह माह का प्रतिबंध लगाया था.
ट्रंप ने कहा, ‘इस आदेश में जिन सात देशों के नाम हैं ये वही देश हैं, जिनकी ओबामा प्रशासन ने आतंक के स्रोत के रूप में पहचान की थी.’ अपनी आव्रजन नीतियों के आलोचक रहे सीनेटर जॉन मैक्केन और लिंडसे ग्राहम की भी ट्रंप ने कई ट्वीट कर आलोचना की.

दोनों सीनेटरों ने कहा था कि ऐसे समय पर जब अमेरिकी जवान आईएसआईएस को हराने के लिए इराकी साझेदारों के साथ कंधे से कंधा मिलकर लड़ रहे हैं तब इस फैसले के कारण इराकी पायलटों के एरिजोना स्थित सैन्य ठिकानों पर हमारे साझा शत्रुओं से लड़ने के लिए आने पर पाबंदी लग गई है. सीनेटरों ने कहा था, ‘आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में हमारे सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी बड़ी संख्या में मुस्लिम हैं, जो नफ़रत की विचारधारा को अस्वीकार करते हैं.
इस आदेश से यह मैसेज गया कि अमेरिका नहीं चाहता कि मुस्लिम हमारे देश में आएं. इसलिए हमें यह चिंता सता रही है कि इस फैसले से हमारी सुरक्षा बेहतर हो या ना हो, लेकिन आतंकवादियों की भर्ती में इजाफा जरूर हो जाएगा. ‘जल्दबाजी में शुरू की गई इस प्रक्रिया के परिणाम घातक हो सकते हैं. हमें ग्रीन कार्ड धारकों को उस देश में वापस लौटने से नहीं रोकना चाहिए जिसे वह अपना घर कहते हैं.”

वहीं ट्रंप ने दोनों सीनेटरों को तृतीय विश्व युद्ध की जगह आईएसआईएस और अवैध रूप से अमेरिका में घुसने वाले लोगों पर ध्यान लगाने की बात कही.
The joint statement of former presidential candidates John McCain & Lindsey Graham is wrong – they are sadly weak on immigration. The two…
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) January 29, 2017
…Senators should focus their energies on ISIS, illegal immigration and border security instead of always looking to start World War III.
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) January 29, 2017
रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी के रूप में डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव में ही कह दिया था कि राष्ट्रपति बनने पर वह अमेरिका में कट्टरपंथी मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाएंगे. तभी पूरी दुनिया में उसका विरोध हुआ था लेकिन ट्रंप ने अपना रुख नहीं बदला था. 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद उन्होंने साफ कहा था कि वह अपनी घोषणाओं पर काम करेंगे और कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद को खत्म करके दम लेंगे. ताजा फैसला उनके तेवरों के अनुरूप देखा जा रहा है.