माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट Twitter के सीईओ जैक डॉर्सी ने राजनीतिक विज्ञापन को लेकर बड़ा ऐलान किया है. 22 नवंबर के बाद Twitter राजनीतिक विज्ञापन दिखाई नहीं देंगे. 

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दरअसल, Twitter ने दुनिया भर में सभी तरह के पॉलिटिकल एडवर्टाइज़िंग पर रोक लगा दी है. सोशल मीडिया के राजनीतिक इस्तेमाल और वोटरों पर पड़ने वाले असर को देखते हुए ट्विटर ने ये बड़ा फ़ैसला लिया है. Twitter के सीईओ जैक पैट्रिक डॉर्सी ने ख़ुद ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है. 

इस दौरान जैक डॉर्सी ने राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने के कुछ कारण भी बताए हैं- 

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कोई भी राजनीतिक संदेश लोगों को तक तब पहुंचता है जब वो किसी अकाउंट का फ़ॉलो करते हैं या रीट्वीट करते हैं. ऐसे में लोगों तक पहुंचने के लिए पेमेंट करना उन लोगों के सोच को कम कर देता है, लोगों को मजबूर करता है कि वो ऐसे ऑपटिमाइज़ और राजनीतिक संदेशों को देखें. हमारा मानना है कि इस फ़ैसले को पैसे से समझौता करके नहीं किया जाना चाहिए. 
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जैक ने कहा कि ‘हमने वैश्विक स्तर पर ट्विटर पर सभी राजनीतिक विज्ञापनों को रोकने का निर्णय लिया है. हमारा मानना है कि लोगों तक राजनीतिक संदेश पहुंचना चाहिए, इसे ख़रीदा नहीं जाना चाहिए. कुछ लोग ट्विटर का इस्तेमाल ग़लत जानकारी फ़ैलाने के लिए करते हैं, जिसकी वजह से बैन लगाना ज़रूरी हो गया है. 

जैक डॉर्सी का ये एलान न सिर्फ़ भारत बल्कि दुनियाभर के राजनीतिक प्रचार पर असर डालेगा. क्योंकि कई राजनीतिक दल चुनाव से पहले ट्विटर के ज़रिए राजनीतिक प्रचार करते रहे हैं. 

डिजिटल विज्ञापन वोटों पर डालता है असर 

हमें मालूम है कि हम एक बड़े पॉलिटिकल एडवर्टाइजिंग इकोसिस्टम का छोटा सा हिस्सा हैं. लेकिन हमने ये भी देखा है कि कई सामाजिक आंदोलन बिना किसी राजनीतिक विज्ञापन के बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचते हैं. इस तरह की चुनौतियां न सिर्फ़ पॉलिटिकल विज्ञापन, बल्कि हर तरह के इंटरनेट कम्यूनिकेशन को प्रभावित कर रही हैं. 

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जैक डॉर्सी ने साथ ही कहा कि कंपनी अपने इस बड़े इस फ़ैसले को लेकर 15 नवंबर तक फ़ाइनल पॉलिसी जारी कर देगी. जबकि ये फ़ैसला 22 नवंबर से लागू कर दिया जाएगा. इस पॉलिसी को लागू करने से पहले सभी विज्ञापनदाताओं को नोटिस पीरियड भी दिया जाएगा. 

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बता दें कि फ़ेसबुक से लेकर ट्विटर पर राजनीतिक विज्ञापनों के ज़रिए चुनाव प्रभावित करने के आरोप लग चुके हैं. ऐसे में ट्विटर के इस बड़े फ़ैसले से राजनीतिक पार्टियों पर क्या असर पड़ता है ये तो भविष्य ही बताएगा. 

एक ओर Twitter के सीईओ जैक डोर्सी का कहना है कि इंटरनेट पर विज्ञापन बेहद ताक़तवर और प्रभावी होते हैं, लेकिन यही ताक़त राजनीति में बहुत बड़ा जोख़िम भी लाती है. तो वहीं इसके विपरीत फ़ेसबुक का कहना है कि वो फिलहाल राजनीतिक विज्ञापनों को बंद नहीं करेगा.