कल तक जो लड़के फेसबुक पर ज्ञान पेल रहे थे, आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को सम्मान देने के लिए दबा का फेसबुक स्टेटस अपडेट कर रहे हैं. कोई महिला सशक्तिकरण की बात कर रहा है, तो कोई नारी शक्ति के नारे लगा रहा है. एक बार देख कर ऐसा लगा कि जिसके इंतज़ार में महिलायें न जाने कब से राह देख रही थीं, वो सारा सम्मान आज ही महिलाओं को दिया जा रहा है, पर ज़मीनी हक़ीक़त की तरफ़ ध्यान गया, तो उसने कुछ और ही कहा. जेएनयू से ले कर रामजस तक जो नाम सुर्ख़ियों में रहे, उनमें से एक नाम शेहला राशिद का भी था. वहीं शेहला राशिद, जिन्हें रामजस में आने से रोकने के लिए कुछ लोगों का देशप्रेम जाग उठा था.

ऐसा ही देश देशप्रेम, सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फ़िल्म सर्टिफिकेशन के मेम्बर अशोक पंडित का भी जाग उठा, जिन्होंने शेहला को आंतकियों के साथ सोने और जेएनयू में भारत विरोधी नारे लगाने वाला कहा.

ये मामला उस समय शुरू हुआ, जब शेहला ने एक ट्वीट करके ‘महिलाओं के मुद्दे पर बनी फ़िल्म को सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फ़िल्म सर्टिफिकेशन द्वारा बैन करने का आरोप लगाया.’

इस ट्वीट में शेहला ने कहा था कि ‘सीबीएससी को पहलाज निहलानी और अशोक पंडित जैसे मूर्ख संघी चलाते हैं. इसी वजह से महिलाओं के मुद्दे पर बनी फ़िल्म इन्हें हजम नहीं हो रही.’

इस ट्वीट के देखते ही अशोक पंडित भड़क गए और शेहला को जवाब देते हुए भूल गए कि महिला दिवस के मौके पर वो एक महिला से किस तरह की बात कह रहे हैं.

हालांकि अशोक पंडित के इस ट्वीट पर लोगों ने जम कर उनकी आलोचना की.

एक ट्वीटर यूज़र ने एक स्क्रीन शॉट भी डाला है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वो अशोक पंडित की बेटी है.

इसमें उनकी बेटी कह रही हैं कि ‘एक बेटी पिता हो कर वो किसी बेटी को आतंकी के साथ सोने की बात कैसे कर सकते हैं. मुझे उनको पिता कहने पर भी शर्म आ रही है.’

हालांकि इस ट्वीट को अशोक पंडित ने फोटोशॉप करार दिया है और कहा है कि मुझे और मेरी बेटी को परेशान करने की कोशिश की जा रही है.

भइया आप संघी हो या कम्युनिस्ट, बस एक छोटा-सा सवाल है कि किसी महिला के प्रति इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने की आज्ञा कौन-सी विचारधारा देती है?

बाकि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की एक बार फिर शुभकामनाएं.