‘श्मशानों में बाढ़ आई है, हर तरफ़ लाशें बह रही हैं
कोरोना महामारी का भारत में इस वक़्त भयंकर रूप देखने को मिल रहा है. हर रोज़ लोग अपनों को दम तोड़ता देख रहे हैं. हालत ये है कि ज़िंदा को अस्पताल और मुर्दे को श्मशान तक नसीब नहीं है. उस पर से इंतिहा ये है कि कोरोना महामारी के डर से लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे.
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी ऐसी ही स्थिति है. हालांकि, यहां दानिश सिद्दीकी और सद्दाम कुरैशी जैसे दो युवक मौजूद हैं, जिन्होंने कोरोना के डर को इंसानियत के जज़्बे से मात देने का हौसला दिखाया है. भोपाल के रहने वाले दोनों मुस्लिम युवक अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना से मरने वाले हिंदू शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, दानिश और सद्दाम ने अब तक कोरोना से मरने वाले 60 हिंदुओं का अंतिम संस्कार किया है. ये वो लोग हैं, जिनके परिवार वाले संक्रमण के डर से नहीं आ रहे या फिर कोरोना नियमों के चलते श्मशान पर अंतिम संस्कार करने नहीं पहुंच पाते हैं.
Saddam Qurashi & Danish Siddiqui from Bhopal have cremated nearly 60 bodies of #Hindus who died of #Covid.
— Kashif Kakvi (@KashifKakvi) April 17, 2021
When kin refused to touch bodies, duo cremate it. “Dharm se uper insaniyay aur desh hai,” they said.@vinodkapri @zoo_bear @digvijaya_28 @abhisar_sharma @sharmasupriya pic.twitter.com/bJ5UrhFv4f
दोनों पिछले कुछ दिनों से दिन-रात इसी काम में लगे हैं. यहां तक कि रमज़ान में रोज़ा रखने के बावजूद वो सुबह से अस्पतालों और श्मशानों के चक्कर लगा रहे हैं. वो बिना जाति, धर्म देखे हर शव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. दानिश और सद्दाम ने साबित कर दिया है कि वाक़ई में इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता.
सही कहते हैं-
‘मरने के बाद तेरा-मेरा मज़हब क्या मुसाफिर