‘न जाने किस मोड़ पर अलविदा होगी 

   मैं जी लेता हूं ज़िंदगी अदा होगी’

जी हां, कच्ची उम्र का मिज़ाज ही कुछ ऐसा होता है. समय तो हाथ में होता है लेकिन दिल नहीं. ऊपर से आशिकी के साथ बेफ़िक्री आग में घी का काम करती है. अब मणिपुर तमेंगलोंग पहाड़ी जिले की इस घटना को ही ले लीजिए. यहां के क्वारंटीन सेंटर से दो युवक अपनी-अपनी गर्लफ़्रेंड से मिलने के लिए भाग गए. कुछ दिनों बाद जब दोनों युवक लौटकर आए तो शराब, गांजा और सिगरेट भी साथ लेकर पहुंचे. 

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सिर्फ़ इतना ही नहीं, इन लड़कों ने सेंटर में ठहरे बाकी लोगों को भी सिगरेट-शराब बेचना शुरू कर दिया. इसके बाद कहीं जाकर अधिकारियों की नज़र इन पर पड़ी और पूरे मामले का ख़ुलासा हुआ.   

इस पूरी घटना को तमेंगलोंग के डिप्टी कमिश्नर ने अपने फ़ेसबुक पर पोस्ट किया है. हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि ये घटना कब हुई थी. 

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डिप्टी कमिश्नर आर्मस्ट्रांग पाम ने कहा, ‘मुझे और मेरी टीम को समझ नहीं आ रहा कि ऐसे लोगों और उन स्थानीय ठगों से किस तरह निपटा जाए, जो इन्हें सपोर्ट कर रहे हैं’. 

उन्होंने बताया, ‘तमेंगलोंग क्वारंटीन सेंटर से दो प्रवासी श्रमिक गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए भाग गए. कुछ दिन बाद वो घर से बाइक लेकर वापस लौटे. साथ में क्वारंटीन में मौजूद लोगों के लिए 8 लीटर लोकल शराब, चार पैकेट गांजा और सिगरेट लेकर आए. सेंटर में लोगों को बांटते हुए उन्हें पकड़ा गया.’ 

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उन्होंने आगे लिखा, ‘हम उन्हें सज़ा कैसे दें… कोरोना के कारण जेल बंद है इसलिए हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. मानवाधिकार के उल्लंघन के डर से कोई उन्हें पीटना नहीं चाहता. अगर उन पर फ़ाइन लगाकर छोड़ दिया जाता है तो वो अपने सामान को ऊंची कीमत पर बेचकर भरपाई कर सकते हैं. 

इन युवाओं को ‘सड़े हुए सेब’ करार देते हुए डीसी ने कहा कि ‘जिस वक़्त ग्रामीण, चर्च और स्वयंसेवक कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में क्वारंटीन सेंटर की मदद के लिए आगे आ रहे हैं, उस समय इन ‘काली भेड़ों’ ने सभी को निराश किया है’. 

बता दें, मणिपुर में अब तक कोरोना वायरस के 385 केस सामने आ चुके हैं.