19 दिसंबर को हुए प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के कई लोगोंं को गोलियां लगीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इन लोगों में राजधानी लखनऊ के तीन लोग भी शामिल हैं.


15 वर्षीय मोहम्मद जिलानी और 17 वर्षीय मोहम्मद शमीम ज़ख़्मी हैं और उनका इलाज चल रहा है. पुलिस ने इन दोनों का नाम ज़ख्मी प्रदर्शकों की सूची में लिखा है. 

Indian Express से बातचीत में 7वीं कक्षा में पढ़ने वाले, जिलानी ने कहा, 
‘शुक्रवार दोपहर मैं ई-रिक्शा से ख़़ादरा में रहने वाली आंटी के घर से चौपाटियां स्थित अपने घर लौट रहा था. मुझे प्रोटेस्ट के बारे में पता नहीं था. अचानक अफ़रा-तफ़री मच गई और लोग ईंट-पत्थर फेंकने लगे. ई-रिक्शा वाले ने मुझे उतरने को कहा और वो चला गया. मैंने एक गली में छिपने की कोशिश की पर अचानक मुझे एक गोली लगी. मैंने गोली मारने वाले को नहीं देखा. मैं बेहोश हो गया और केजीएमयू अस्पताल में मेरी आंख खुली.’  

जिलानी के पिता, मोहम्मद नईम ने कहा कि सरकार को उनके बेटे के इलाज का ख़र्च उठाना चाहिये क्योंकि वो इलाज का ख़र्च नहीं उठा सकते.


 

डॉक्टर दवाई और टेस्ट लिखते रहते हैं. हम अपनी ही जेब से इसका ख़र्च दे रहे हैं. पुलिस मंगलवार को आई थी और उन्होंने मेरे बेटे का स्टेटमेंट लिया. वो मेरे बेटे के साथ भेदभाव कर रहे थे. अगर दूसरे समुदाय के लोग ज़ख़्मी होते तो सरकार उनका ख़र्च ज़रूर उठाती. 

-नईम

एक सरकारी स्कूल की 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले शमीम को पेट में गोली लगी है.

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मैं हुसैनाबाद स्थित अपनी बहन के घर जा रहा था जब पत्थरबाज़ी शुरू हुई. मैंने एक गली में छिपने की कोशिश की जब मुझे पेट में गोली लगी. मैं जैसे-तैसे घर पहुंचा और मां को बताया कि गोली लगी है. उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है. कुछ दिनों बाद अस्पताल में मेरी आंख खुली. 

-शमीम

शमीम के पिता ऑटोरिक्शा चलाते थे पर 6 साल पहले उनका एक्सिडेंट हो गया. 

शमीम के पिता ऑटोरिक्शा चलाते थे पर 6 साल पहले उनका एक्सिडेंट हो गया. 

-शमा, शमीम की बहन

ठाकुरगंज थाना के एसएचओ, प्रमोद कुमार मिश्रा का कहना है कि दोनों ही लड़के बीते शुक्रवार को हुसैनाबाद में हुई घटना में शामिल थे. डॉक्टर्स का कहना है कि दोनों की ही हालत पहले से बेहतर है.