रंगभेद सालों से समाज में रोग की तरह फैला रहा है. आज जब दुनिया इतनी आगे बढ़ गयी है और हम एक प्रगतिशील समाज होने का दावा कर रहे हैं, तब भी हमारी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं है. सिनेमा जगत में अकसर रंगभेद को लेकर खबरें आती ही रहती हैं.

इस बार छोटे पर्दे की एक अदाकारा ने मनोरंजन जगत में फैले रंगभेद का खुलासा किया है. ज़ी टीवी के शो ‘झांसी की रानी’ में ‘मनु’ का किरदार निभाने वाली लोकप्रिय चाइल्ड एक्ट्रेस उल्का गुप्ता ने ग्लैमर इंडस्ट्री के अंधेरे पक्ष का पर्दाफाश किया है. 19 वर्षीय उल्का बताती हैं कि उन्हें सात साल की उम्र में इस इंडस्ट्री में रंगभेद का शिकार होना पड़ा था.

उल्का ने 7 साल की उम्र में शो ‘रेशम डंक’ में एक चाइल्ड एक्ट्रेस के तौर पर अपने टीवी करियर शुरुआत की थी. शो छह महीने के में ऑफ-एयर हो गया. एक्ट्रेस ने ‘रेशम डंक’ के बाद कई ऑडिशन दिए, लेकिन उन्हें अपने रंगों के कारण हर जगह से निराशा हाथ लगी. उल्का ने बताया कि बचपन से ही वो इंडस्ट्री के डार्क साइड को फ़ेस करती आई हैं.

उन्होंने कहा “रेशम डंक के बाद मैं पापा के साथ रोज़ ऑडिशन के लिए जाती थी और हर बार मुझे निराश होना पड़ता था, क्योंकि प्रोड्यूसर्स को एक गोरी लड़की की ज़रूरत होती थी. उनका मानना था कि फ़ेयर लड़की अप-मार्केट गर्ल होती है. डार्क स्किन की वजह से मुझे कई बार रिजेक्ट कर दिया गया. कॉम्पलेक्शन के कारण मुझे ‘सात फेरे’ में सलोनी की बेटी का रोल मिला था. इस शो में डार्क कलर की बजाय, लड़की के साहस पर फोकस किया गया था. कई सालों बाद भी मेरे कास्टिंग एजेंट के पास रिक्वायरमेंट्स आती हैं और उनमें लिखा रहता है, “फेयर लड़की चाहिए”. मैंने ऐसे ऑडिशन में जाना बंद कर दिया. फेयर होने से कोई अपमार्केट नहीं दिखता, मैं चाहती हूं कि कलर की बजाय मेरा टैलेंट बोले.”

उल्का तमिल फिल्म ‘रुद्रमादेवी’ में नज़र आ चुकी हैं. इसके अलावा, उन्होंने एक हिंदी और मराठी फिल्म में भी काम किया है, जो अप्रैल में रिलीज़ हो सकती है.