आपको लगता है कि अपकी तकलीफ़ से नेता/मंत्रियों को फ़र्क पड़ता है, तो आप बहुत मासूम हैं, घर से बाहर मत निकलिएगा, दुनिया ठग लेगी. ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि जहां पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दाम ने आम आदमी के घर की अर्थव्यवस्था हिला रखी है. वहीं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले को इससे फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि उन्हें अपने पैसे से गाड़ी में तले नहीं डलवाना पड़ता.

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‘बढ़ते तेल के दामों का असर मुझ पर नहीं पड़ता, मैं एक मंत्री हूं, मुझे तेल मुफ़्त में मिल जाता है. लोगों को परेशानी हो रही है, सरकार तेल के दामों को कम करने की कोशिश कर रही है…’ ये बोल थे केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले के. जब मुंबई में 15 सितंबर को तेल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर थे, तब उनका ये बयान आया.

इस पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ओमार अब्दुल्लाह ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी. ‘दरअसल मंत्री जी आपका तेल मुफ़्त नहीं है, इसके पैसे मेहनतकश लोगों के टैक्स से दिए जाते हैं. वो आपके मुफ़्त तेल के लिए पैसे तो दे ही रहे हैं, उनको अपने हिस्से के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं. आपको तो टैक्स भी नहीं देना पड़ता.’

मंत्री जी के इस ‘सोचे-समझे’ बयान के बाद जनता को ग़ुस्सा तो आना ही था.

कभी-कभी कुर्सी का घमंड सिर चढ़ कर बोलता है.