नॉर्वे की प्रधानमंत्री Erna Solberg भारत के तीन दिवसीय दौरे पर आई हुई हैं. पहले दिन तय कार्यक्रम के अुनसार वो संयुक्त राष्ट्र के एक प्रोग्राम में गाज़ियाबाद के नीथोरा गांव के प्राइमरी स्कूल में गईं.

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गाज़िाबाद में उन्हें 22 साल की कोमल हडाला की कहानी पता चली, जिससे वो काफ़ी प्रभावित हुईं. कोमल की पहल ने नीथोरा गांव की सूरत बदल दी.

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कोमल दिल्ली की दक्षिणपुरी इलाके की रहने वाली थी. जून, 2017 में शादी के बाद वो नीथोरा जा बसी. शादी की अगले सुबह जब गांव की औरतें उसे शौचालय के लिए खेत जाने के लिए बुलाने आईं, तो उसे बहुत हैरत हुई. उसके ससुराल में शौचालय नहीं था. गांव के लोगों का मानना था कि घर में अगर शौचालय बना तो ‘घर की पवित्रता’ ख़त्म हो जाएगी.

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कोमल की हर सुबह एक शर्मिंदिगी के साथ शुरू होती थी. हद तो तब हो जाती, जब कुछ किसान छड़ी और पत्थर मार कर खेत से खदेड़ देते थे. कोमल ने बताया, ‘हर सुबह मैं अपने पेट को रोकने की कोशिश करती ताकी खेत न जाना पड़े लेकिन ऐसा कोई कब तक कर सकता है?’

एक दिन कोमल ने ससुराल वालों के सामने अपनी समस्या रखी. कोमल को अपने पति बादल का साथ मिला. कोमल ने गांव के मुखिया से मिल कर गुज़ारिश की कि वो सरकार से अपील कर गांव में शौचालय लगवाएं. कोमल के साथ गांव की कई महिलाएं मुखिया पर दबाव डाल रही थी.

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इस तरह गांव के 250 घरों में शौचालय लगा और नीथोरा गांव ‘खुले में शौच करने से मुक्त’ हुआ. हालांकि समस्या अभी ख़त्म नहीं हुई. गांव के लोगों को बचपन से ही खेतों में फ़ारिग होने की आदत थी, जो अचानक से नहीं बदली जा सकती थी. कोमल सरकार द्वारा गठित ‘निगरानी समिति’ की सदस्य है.

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नॉर्वे की प्रधानमंत्री से तारीफ़ सुनने पर कोमल से प्रतिक्रिया ली गई तो उसने कहा, ‘उन्होंने(नॉर्वे की प्रधानमंत्री) मेरी कहानी सुनी और मुझे ‘Well Done’ कहा. ये मेरे लिए बहुत उत्साहवर्धक है.’

प्रधानमंत्री Erna Solberg ने स्कूल कार्यक्रम में स्वच्छ भारत अभियान के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारिफ़ की और कहा कि ये ‘रोज़मर्रा की राजनीति’ है, इससे जनती की सीधे तौर पर प्रभावित होती है.

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