एक बार फिर स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली लोगों के सामने है. झारखण्ड में एक लड़की ने सड़क पर बच्चे को जन्म दिया. हेल्थ सेंटर के स्टाफ़ ने ये कह कर उसे एडमिट करने से मना कर दिया कि उन्हें अपने बॉस से और लड़की के परिवार से इजाज़त लेनी होगी.

चांडिल की सड़क पर 17 साल की लड़की ने मंगलवार सुबह बच्चे को जन्म दिया. ये जगह हेल्थ सेंटर से मात्र सौ कदम की दूरी पर है. ओम प्रकाश शर्मा सुबह चार बजे टहलने निकले थे, तब उन्होंने सड़क पर एक लड़की को देखा, जिसके पास एक नवजात बच्चा था और बच्चे की गर्भनाल भी उससे जुड़ी हुई थी. लड़की के कपड़े खून से लथपथ थे.

ओम प्रकाश ने बताया कि लड़की इतनी बुरी हालत में थी कि अपने बच्चे को भी नहीं उठा पा रही थी. आस-पास से गाड़ियां गुज़र रही थीं, लेकिन उसमें इतनी भी जान नहीं थी कि वो सड़क से हट पाती. उन्होंने हेल्थ सेंटर वालों से बच्चे और मां का इलाज करने को कहा लेकिन उनका जवाब चौंकाने वाला था. उन्होंने लड़की को एडमिट करने से साफ़ इंकार कर दिया.

जब लोगों ने ज़ोर दिया, तो उन्होंने एम्बुलेंस न होने की बात कही. लोगों ने पुलिस बुला ली और हेल्थ सेंटर में जम कर हंगामा किया. इसके बाद अस्पताल से डॉक्टर लाखिन्द्र हंसडा ने आकर बच्चे की गर्भनाल काटी. लोगों ने ऑटो से लड़की को हेल्थ सेंटर पहुंचाया, जहां दो घंटे की ना-नुकुर के बाद लड़की को एडमिट किया गया.

अब लड़की और बच्चे की हालत स्थिर है, उन्हें दो दिन तक निगरानी में रखा जायेगा. लड़की रुचाब गांव की है, जो रांची से 100 किलोमीटर दूर स्थित है. लड़की की शादी नहीं हुई है, इसलिए उसके घरवालों ने प्रेगनेंसी का पता लगने पर उसे घर से निकाल दिया था. पिछले चार महीने से वो सड़कों पर रह रही थी और भीख से गुज़ारा कर रही थी. लड़की ने बताया कि वो गांव के एक आदमी से प्यार करती थी, लेकिन जब उसे प्रेगनेंसी के बारे में पता चला, तो उसने लड़की को छोड़ दिया. कुछ साल पहले उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है और उसकी मां ने भी उसे छोड़ दिया है.

हॉस्पिटल प्रशासन ने कहा है कि अगर उसके परिवार वाले उसे नहीं अपनायेंगे, तो उसे किसी NGO में भेज दिया जायेगा.