UP Police का नारा है ‘‘सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा”. लेकिन समय समय पर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं जिनको पढ़कर ऐसा लगता नहीं है कि यूपी पुलिस(UP Police) का संकल्प आपकी सुरक्षा ही है. यूपी पुलिस अक्सर चर्चा को विषय बनी रहती है चाहे मुंह से ठांय-ठांय की आवाज़ निकाल कर गोली चलाना हो या हाथरस में पीड़िता का जबरन अंतिम संस्कार कराना हो. 

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ऐसे मालमों में एक और मामला जुड़ गया है. ये पूरी घटना यूपी के एटा(Etah) की है. यहां के पुलिस वालों पर गंभीर आरोप लग रहे हैं, इन आरोपों के मुताबिक, दो पुलिसकर्मियों ने पहले एक ढाबे में बैठकर खाना खाया, खाने के बाद जब उनसे बिल मांगा गया तो ये बात पुलिस वालों को ज़रा भी पसंद नहीं आयी और इसी बात से नाराज़ होकर उन्होंने ढाबे के मालिक समेत 9 लोगों पर ‘फ़र्ज़ी मुठभेड़’ के मामले में फंसा दिया.

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The Times of India की रिपोर्ट के अनुसार ढाबा के मालिक प्रवीण कुमार यादव दिव्यांग हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि 4 मार्च को दो कांस्टेबल जिनका नाम संतोष कुमार और शैलेंद्र कुमार ने खाना खाया जिसका बिल 400 रुपये था. “वे लोग  सिर्फ़ 80 रुपये दे रहे रहे थे. मेरे बड़े भाई ने उनसे कम से कम 200 रुपये देने के लिए रिक्वेस्ट किया. कुछ ग्राहकों ने उन्हें बिल देने को कहा. थोड़ी बहस के बाद पुलिसकर्मियों ने मेरे भाई की पिटाई शुरू कर दी. वे लोग नशे में थे और हमें जेल भेजने की धमकी देने लगे.” प्रवीण ने बताया कि इसके बाद दोनों चले गए.

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प्रवीण ने आगे बताया, “थोड़ी देर बाद तीन गाड़ियों में क़रीब 15 पुलिसकर्मी आये. उन्होंने बंदूक दिखाई और मेरे भाई, चचेरे भाई और 8 ग्राहकों को पकड़ कर थाने ले गए और सबके ख़िलाफ़ FIR दर्ज़ कर दी. पुलिस वालों ने मुझे छोड़ दिया क्योंकि मैं दिव्यांग हूं और मेरे होने से कोर्ट एनकाउंटर वाली कहानी पर सवाल खड़ा करती.”

पुलिस ने इन 10 लोगों के ख़िलाफ़ जो FIR दर्ज़ की थी उसमें कहा था कि ये लोग एक गिरोह का हिस्सा थे और लूट की योजना बना रहे थे. पुलिस ने यह भी दावा किया कि मुठभेड़ के बाद उन्हें पकड़ लिया गया. पुलिस ने ये भी कहा कि इन लोगों के पास से 6 अवैध हथियार, 80-लीटर अवैध शराब और 2 किलोग्राम गांजा पकड़ा गया है.

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आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्ण ने अपनी दी हुई बाईट में कहा कि 4 फ़रवरी को हुई इस घटना की जांच में प्रथम दृष्टया ये आरोप सही पाए गए हैं जिसके बाद संबंधित कर्मियों को निलंबित करने करने का आदेश दिया और इस घटना से संबधित सारे पुलिसकर्मियों पर मुकदमा कायम कर दिया गया है. साथ ही जांच को एटा से अलीगढ़ ट्रांसफर कर दिया ताकि पारदर्शिता बनी रहे.

दोषी कर्मी भले हो सस्पेंड हो गए हों लेकिन पुलिस वाले अक्सर अपनी वर्दी का धौंस जमाते नज़र आते हैं. उम्मीद है ये मामला ऐसे पुलिस वालों के लिए सबक बनेगा.