अपने देश की पुलिस कितनी प्रोफ़ेशनल है, ये बताने की जरुरत शायद नहीं है. उस पर भी जब बात उत्तर प्रदेश पुलिस की हो, तब तो जी कहना ही क्या. पुलिस और यूपी ये बिल्क़ुल चार चांद लगाने वाली बात है. क्योंकि अक्सर यूपी पुलिस अपने कामों से नहीं बल्कि कांडों की वजह से सुर्खियों में रहती है. नया कारनामा इसी यूपी की लखनऊ पुलिस का है. लेकिन इस बार कांडगिरी ख़ुद पुलिस भारी पड़ गई.
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दरअसल, लखनऊ में एक एसयूवी जब्त की गई. वैसे तो जब्त गाड़ी थाने में रख़ी जाती है. लेकिन ऐसा होता तो फ़िर काहे कि लखनऊ पुलिस. चार पहिया ऊपर से एसयूवी, बस निकल लिये सफ़र पर. लेकिन एक चूक हो गई. गाड़ी मालिक थाने पहुंच गया. जब गाड़ी नहीं दिखी तो उसने जीपीएस की मदद से पता लगाया. गाड़ी की लोकेशन वहां से क़रीब 143 किलोमीटर दूर लख़ीमपुर ख़ीरी के नए बस्ती गांव दिखा रही थी.
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बस फ़िर क्या गाड़ी मालिक ने ट्रैकिंग सिस्टम की मदद से एसयूवी का इंजन बंद कर दिया. जो पुलिसवाले सरपट कार भगा रहे थे, वहीं फंस गए. क़रीब तीन घंटे तक एक सब-इंस्पेक्टर और दो कॉन्सटेबल कार में ही फंसे रहे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ एसयूवी मंगलवार को लखनऊ गोमतीनगर थाने में सीज़ की गई थी. कहा जा रहा है कि पुलिसवाले इस एसयूवी से बुधवार को एक केस की जांच करने लख़ीमपुर ख़ीरी गए थे.
Hindustantimes की रिपोर्ट के मुताबिक़, एसयूवी के मालिक ने अपना कार के गलत इस्तेमाल को लेकर शिकायत दर्ज कराई है.
लखनऊ कमिश्नर सूजीत पांडे ने कहा, ‘एसचओ गोतीनगर प्रमिंदर कुमार सिंह को जांच सौंपी गई है. जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी.’
GPS-Enabled Locking System के बारे में एक्सपर्ट ने बताया कि ये सिस्टम कार की सुरक्षा सुनिश्चित करता है. अगर कार मालिक को लगता है कि उसकी कार गलत हाथों में है तो वो माइक्रो कंट्रोलर को एक संदेश भेज सकता है. संदेश मिलते ही इंजन बंद हो जाएगा. साथ ही दरवाजें भी लॉक हो जाएंगे. इंजन दोबारा तब ही शुरू होगा, जब कार मालिक माइक्रो कंट्रोलर को पासवर्ड भेजेगा.