उत्तर प्रदेश पुलिस ने बीते रविवार नकली आधार कार्ड बनाने वाले 10 लोगों के एक गिरोह को गिरफ़्तार किया है. पुलिस के मुताबिक ये गैंग UIDAI के बायोमैट्रिक मानकों की अनदेखी कर फिंगर प्रिंट तक की क्लोनिंग कर लेता था. पुलिस के मुताबिक ये गैंग UIDAI सेंट्रर ऑपरेटर के फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर आधार की वेबसाइट खोल लेते थे और उसमें फर्जी पंजीकरण कर देते थे.

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पुलिस ने बताया कि इन जालसाज़ों के पास से फिंगरप्रिंट स्कैनर्स, आईरिस स्कैनर, लैपटॉप, रबड़ स्टैम्प्स, आधार कार्ड, जीपीएस उपकरण और भारी मात्रा में प्रिंटिंग सामग्री को बरामद किया गया है. इसके अलावा 12 मोबाइल, 2 आधार कार्ड स्कैनर, 2 रेटिना स्कैनर के साथ ही भारी मात्रा में कई अन्य सामान और डिवाइस भी बरामद हुई हैं. इन सब चीज़ों का मिलना यही संकेत देता है कि इनका अच्छा-ख़ासा स्थापित नेटवर्क है, जो भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण या यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित किये गए व्यापक सुरक्षा तंत्र की अनदेखी कर नकली कार्ड जारी करता है. ये लोग विशेष सॉफ्टवेयर से यूआईडीएआई के सर्वर पर उपलब्ध डाटा से छेड़छाड़ भी करते थे.

इस गैंग का सरगना और मास्टरमइंड सौरभ सिंह कानपुर का निवासी है. आई जी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पिछले 6 महीनों से ये गिरोह सक्रीय था. अब तक न जाने कितने फर्जी आधार कार्ड बना चुके होंगे ये लोग इसका अनुमान लगाना मुश्किल है. इनका मकसद जालसाजी कर ज़्यादा से ज़्यादा पैसे कमाना था. ये हर ग्राहक से 50 रुपये से 150 रुपये लेकर आधार कार्ड बनाते थे.

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पिछले दिनों एसटीएफ को ये जानकारी मिली थी कि प्रदेश के कई शहरों में टैम्पर्ड क्लाइंट एप्लिकेशन के माध्यम से फर्जी आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं. इस जानकारी पर यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के डिप्टी डायरेक्टर ने साइबर क्राइम थाना लखनऊ में केस भी दर्ज कराया था. इसके बाद पुलिस और एसटीएफ की टीम इस गिरोह के जालसाजों की तलाश में जुट गई.

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पुलिस के अनुसार, पिछले दिनों एसटीएफ को ये जानकारी मिली थी कि प्रदेश के कई शहरों में टैम्पर्ड क्लाइंट एप्लिकेशन के माध्यम से फर्जी आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं. इस जानकारी पर यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के डिप्टी डायरेक्टर ने साइबर क्राइम थाना लखनऊ में केस भी दर्ज कराया था. इसके बाद पुलिस और एसटीएफ की टीम इस गिरोह के जालसाजों की तलाश में जुट गई. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इसके लिए जो तकनीक इस्तेमाल की जा रही थी, वो बहुत ही जटिल है और इसमें ये जालसाज अधिकृत ऑपरेटर्स का फिंगर प्रिंट क्लोन बनाकर आधार कार्ड की वेबसाइट लॉगइन करते थे और आधार बनाने के लिए इनरोलमेंट करते थे.

पुलिस ने ये भी कहा कि यूआईडीएआई द्वारा अनिवार्य की गई Information Security Policy कई स्तरों, जैसे रजिस्ट्रार, नामांकन एजेंसियों, पर्यवेक्षकों, सत्यापनकर्ता और ऑपरेटर पर टूट रही है. उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि संपूर्ण आधार नामांकन प्रक्रिया को सुरक्षा के लिए ऑडिट किया जाएगा.

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आधार इनरोलमेंट के लिए अलग-अलग एजेंसियां अपने-अपने सेंटर खुलवाती हैं. सेंटर पर फार्म भरने के बाद आधार कार्ड बनवाने वाले का फिंगर प्रिंट और आईरिस (आंखों की पुतली) की बायोमीट्रिक ली जाती है. इसके लिए ऑपरेटर को यूआईडीएआई सत्यापित करती है.

आधार, दुनिया का सबसे बड़ा बायोमेट्रिक आईडी कार्ड प्रोग्राम है, जो प्रत्येक व्यक्ति के फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन की रिकॉर्डिंग के बाद एक यूनिक नंबर द्वारा वर्णित करता है. इसको मूल रूप से देश के वेलफेयर बेनिफिट पेमेंट को सरल बनाने और अपव्यय को कम करने के लिए स्थापित किया गया था.

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लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार इस योजना के जनादेश को बढ़ाने के लिए हमेशा से तत्पर रही है. अभी तक 100 करोड़ से अधिक भारतीयों ने आधार कार्ड के लिए पहले से ही आवेदन किये है. आधार कार्ड को टैक्स रिटर्न दाखिल करने के उद्देश्य से अनिवार्य कर दिया गया है.

केंद्र द्वारा डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए आधार डेटा को भी आगे बढ़ाया जा रहा है. गौर करने वाली बात है कि आधार की अनिवार्यता की शुरुआत में इसकी नक़ल को बेहद मुश्किल बताया गया था. रविवार को हुई इस धड़-पकड़ के बाद आधार कार्ड की अनिवार्यता पर सवालिया निशान भी लग रहे हैं.