देश में कुछ ऐसे लोग हैं, जिनका दिमाग साम्प्रदायिकता से बुरी तरह संक्रमित है. कोरोना महामारी के वक़्त भी ये वायरस लोगों को अपनी चपेट में लेने से बाज़ नहीं आ रहा है. ताज़ा उदाहरण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले का एक निजी अस्पताल है.
ndtv की रिपोर्ट के मुताबिक़, यहां एक कैंसर हॉस्पिटल ने 17 अप्रैल को अख़बार में विज्ञापन प्रकाशित करवाया, जिसमें कहा गया कि अब मुस्लिम मरीज़ों को तब तक एडिमट नहीं करेगा, जब तक मरीज़ और उसका केयरटेकर कोविड-19 का निगेटिव टेस्ट रिज़ल्ट नहीं लाते हैं.
सिर्फ़ यही नहीं, इस विज्ञापन में हिंदू और जैन समुदाय के लोगों ‘कंजूस’ बताया गया है और उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीएम केयर फंड में योगदान देने की मांग की है.
सोशल मीडिया पर ये इश्तेहार वायरल हो गया, जिसके बाद इस अस्पताल की जमकर आलोचना शुरू हो गई. मामला बढ़ता देख अस्पताल ने एक और विज्ञापन निकालकर अपनी सफ़ाई पेश की. हालांकि, अस्पताल के मालिक के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है. उन पर ‘जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को भड़काने और दुर्भावनापूर्ण कार्य करने’ आरोप लगाया गया है.
बता दें, अस्पताल ने विज्ञापन में तब्लीगी जमात के कथित दुर्व्यवहार को भी शामिल किया गया. साथ ही कहा गया इससे जुड़े कुछ लोगों के देश के विभिन्न स्थानों पर छिपे रहने के कारण कोरोना वायरस का प्रसार हुआ मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा.
अस्पताल प्रबंधन ने मांगी माफ़ी
चौतरफ़ा हो रही आलोचना और कार्रवाई के डर से इस अस्पताल ने अब माफ़ी मांगी है. ANI के मुताबिक़, वेलंटिस अस्पताल के डॉ. अमित जैन ने कहा, ‘विज्ञापन एक अपील थी कि सभी लोग सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करें ताकि सभी लोग सुरक्षित रहें. इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. हमने माफ़ी मांगी है क्योंकि कुछ शब्दों से लोगों की भावनाएं आहत हुईं. हम किसी की भावनाएं आहत नहीं करना चाहते थे.’
The ad was an appeal to all the people to follow the govt guidelines so that everyone stays safe. It has nothing to do with religion. We apologise as some word hurt people’s sentiments. The hospital never intended to hurt anyone’s sentiments: Dr Amit Jain,Velantis Cancer Hospital https://t.co/4fFpfKs8Bc pic.twitter.com/3g6cWh728t
— ANI UP (@ANINewsUP) April 20, 2020
अस्पताल ने माफ़ी मांग ली है लेकिन उस पर केस दर्ज हो चुका हैं. मेरठ एसएसपी अजय कुमार साहनी ने बताया कि, ‘हमने केस दर्ज कर लिया है. उपलब्ध सबूतों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है.’
जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी राज कुमार ने भी रविवार को बयान दिया.
‘ये निश्चित रूप से ग़लत है और हम संबंधित अस्पताल के प्रशासन को एक नोटिस भेज रहे हैं. उनका जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.’