कश्मीर की जनता और सिक्योरिटी फ़ोर्स के बीच चल रहे संघर्ष की आंच अब देश के बाकी हिस्सों को भी झुलसाने लगी है.
मेरठ के वेदव्यासपुरी कॉलोनी के सामने, नेशनल हाईवे 58 बाइपास पर एक पोस्टर लगाया गया है. कश्मीरियों को धमकी देते इस पोस्टर में लिखा है, ’कश्मीरियों उत्तर प्रदेश छोड़ो वर्ना…’. पोस्टर के सबसे ऊपरी हिस्से में लिखा हुआ है कि सेना के जवानों पर पत्थर मारने वाले कश्मीरियों का बहिष्कार. इस पोस्टर को उत्तर प्रदेश नव-निर्माण सेना ने लगाया है. इस पोस्टर में सेना के संस्थापक अमित जानी की फ़ोटो भी लगी हुई है.
Kashmiris at Meerut asked to choose between life and death. Leave UP or face the consequences. New note from India. #Kashmir | pic.twitter.com/mOG6fRj8xw
— Dar Wasim (@payami_) April 20, 2017
अमित सानी के मुताबिक, कश्मीरी लोगों के फंड से देश की सेना पर पत्थरबाजी की जा रही है. आखिर हम इन लोगों को ये पैसा क्यों उपलब्ध कराएं? कश्मीरी लोगों के खिलाफ़ ये असहयोग आंदोलन यूनिवर्सिटीज़ में भी जारी रहेगा. हमारे लोग वहां जाकर कश्मीरी लोगों के सामाजिक बहिष्कार की अपील करेंगे.
जानी ने कहा कि फ़ेसबुक के जरिए कार्यकर्ताओं तक सन्देश पहुंचाया जा रहा है कि अगले तीन महीने तक कश्मीरियों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन चलेगा और इस दौरान इनसे व्यवहार, व्यापार, दुआ-सलाम सब बंद रहेगा. हालांकि इस विरोध प्रदर्शन में कोई हिंसा नही होगी.
राजमार्ग पर होर्डिंग लगाने के अलावा अमित जानी ने ट्वीट कर मेरठ के लोगों से कश्मीरियों को किराए पर मकान और दुकानों से सामान न देने की भी अपील की है. इस घटना के बाद जानी के खिलाफ़ एक शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है. अमित जानी सबसे पहले लखनऊ में मायावती की मूर्ति तोड़ने के आरोप में चर्चा में आए थे.
इस मामले में मेरठ पुलिस का कहना है कि किसी भी शख़्स या संस्था को कानून हाथ में ले जाने की इजाज़त नहीं मिलेगी. इस मामले में दोषियों के खिलाफ़ एक्शन लिया जाएगा. पुलिस ने आश्वासन दिया कि ज़िले में रहने वाले सभी लोगों की हिफ़ाज़त की जाएगी.
माना जा रहा है कि ये पोस्टर्स केवल शुरुआत भर हैं और 30 अप्रैल से कश्मीरियों को यूपी से उखाड़ फेंकने के लिए एक हल्ला बोल कैंपेन भी चलाया जाएगा. इस कैंपेन का मकसद उन कश्मीरियों को राज्य से निकालना होगा, जो चेतावनी के बाद भी प्रदेश में बने हुए हैं
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद आपत्तिजनक पोस्टरों के लगने का सिलसिला थम नहीं रहा है. कहीं किसी शहर का नाम बदला जा रहा है, तो कहीं योगी का गुणगान करने की धमकी दी जा रही है. ये देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में योगी सरकार क्या रुख अपनाती है.