जब से देश और दुनिया महामारी के चपेट में आया है, हम तब से ही प्रतिदिन पढ़ और देख रहे हैं कि किस तरह लोग अपने-अपने तरीक़े से औरों की मदद करने में लगे हुए हैं. फिर भले वो अपनों की हो या किसी अजनबी इंसान की. हर कोई अपनी क्षमता से आगे बढ़ कर इस मुश्किल वक़्त को आसान बनाने में लगा हुआ है. 

ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर में देखने को मिला. जब भरी दोपहर में पत्नी अपने पति को कंधे पर लाद सेंट्रल स्टेशन की ओर अपने क़दम बढ़ा रही थी. 

महाराष्ट्र, जलगांव का रहने वाला दीपक, कानपुर के केस्को में काम करता है. डेढ़ महीने पहले ही दीपक काम करने के दौरान ज़ख़्मी हो गए जिसमें उनके दोनों पैर टूट गए और उन्हें प्लास्टर लग गया. तब से ही उनकी पत्नी ज्योति उनका अटूट सहारा बनी हुई हैं. 

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काम बंद पड़ जाने की वजह से दोनों ही वापस अपने घर लौटना चाहते थे मगर लॉकडाउन और फिर दीपक की ऐसी हालत के चलते ये मुमकिन नहीं था. ऐसे में लॉकडाउन 5 में मिली छूट के चलते दोनों अब बस अपने घर महाराष्ट्र जाना चाहते थे. 

साथ ही, अभी कुछ दिनों पहले ही दीपक के दोनों पैरों से प्लास्टर हटा दिया गया था मगर वो अभी भी चलने में पूरी तरह सक्षम नहीं हुए हैं.   

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ऐसे में ज्योति उनकी बैसाखी बन जैसे-तैसे उन्हें कानपुर स्टेशन लेकर पहुंची. मगर जब प्लैटफ़ॉर्म तक दीपक को ले जाने के लिए कोई उनकी मदद करने आगे नहीं आया तब ज्योति ने ख़ुद ही हिम्मत कर अपने पति को अकेले कंधे पर लाद ट्रेन पर बैठी.