Aquagenic Urticaria Disease: इंसान हो या जानवर ज़िंदा रहने के लिए पानी बेहद ज़रूरी है. बिन पानी इंसान 5 दिन से अधिक जीवित नहीं रह सकता है. मगर तब क्या हो, जब पानी ही आपकी ज़िंदगी में मुश्किलें पैदा करने लगे? सुनने में ये अजीब सा लग रहा हो, मगर अमेरिका की एक 15 साल की लड़की के लिए ये हकीक़त है. जी हां इस लड़की के लिए पानी ही मौत का कारण बन गया है. एरिज़ोना में टक्सन की रहने वाली Abigail Beck नाम की ये लड़की एक्वाजेनिक अर्टिकेरिया (Aquagenic Urticaria) नाम की एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है. ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें शख़्स को ‘पानी से एलर्जी’ हो जाती है. शरीर पर पानी पड़ने से जलन होने लगती है और अंग लाल हो जाते हैं, जिसकी वजह से उस पूरे भाग में रैशज़ हो जाते हैं. 

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इस लड़की की स्थिति का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वो अपनी तकलीफ़ पर रो भी नहीं सकतीं, क्योंकि आंसू उसकी तकलीफ़ को और बढ़ा सकते हैं. यहां तक कि वो पानी भी नहीं पीती, क्योंकि, इससे उसके सीने में तकलीफ़ बढ़ जाती है. अगर ग़लती से बारिश में निकल जाएं, तो पानी की बूंदे उन्हें तेज़ाब सी लगती हैं.

Aquagenic Urticaria Disease

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Abigail Beck कहती हैं, ‘मेरे अपने आंसू रिएक्शन का कारण बन जाते हैं. मेरा चेहरा लाल पड़ जाता है और बुरी तरह जल जाता है. वहीं, अगर पानी पीती हूं, तो सीने में दर्द होता है और मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगता है.’

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Abigail Beck ने आख़िरी बार पानी क़रीब सालभर पहले पिया था. वो पानी की जगह ‘एनर्जी ड्रिंक’ या ‘अनार का रस’ पीती हैं. अपनी एलर्जी के कारण Abigail नहाती भी बहुत कम है. वो भी बेहद सावधानी के साथ. इस एलर्जी से बचने के लिए वो रोज़ एंटी-हिस्टामीन का एक डोज़ लेती हैं. साथ ही, उन्हें रिहाइड्रेशन गोलियां और स्टेरॉयड भी लेने पड़ते हैं. 

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Abigail Beck के पिता Michael Beck अपनी बेटी की तारीफ़ करते हुए कहते हैं, ‘वो वास्तव में ख़ुद को अच्छी तरह से संभालती है. मुझसे उसे इस दर्द को झेलते हुए देखा नहीं जाता. मैं चाहता हूं उसकी सारी तकलीफ़ मुझे मिल जाए. मैं असहाय महसूस करता हूं. हालांकि, मुझे नहीं लगता उसकी एलर्जी की वजह से जान जा सकती है. पर उसकी हेल्थ को लेकर चिंता होती है. हम ऐसी चीज़ें तलाश कर रहे हैं, जो उसे हाइड्रेट रखने में मदद कर सकें.’

बता दें कि, एक्वाजेनिक अर्टिकेरिया (Aquagenic Urticaria) बेहद दुर्लभ बीमारी है और अक्सर महिलाओं में देखी गई है. दुनियाभर में अब तक इस बीमारी के केवल 100 मरीज़ ही देखे गए हैं.