हरिद्वार से पुरी के बीच चलने वाली कलिंग उत्कल एक्सप्रेस शनिवार शाम को मुज़फ्फरनगर के खतौली के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस दुर्घटना में ट्रेन की कई बोगियां पटरी से उतर गईं, जबकि कई एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गईं, जिससे कई लोगों के हताहत होने की ख़बर है.
इस हादसे से जहां देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है. वहीं एक-बार फिर इसने समाज को जोड़ने वाली शक्तियों को एक किया है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के मुताबिक, इस ट्रेन के एक डिब्बे में साधुओं का एक दल भी सवार था, जो मध्य प्रदेश के मोराना से हरिद्वार की तरफ़ जा रहा था. इस दल का हिस्सा रहे भगवान दास का कहना है कि ‘एक्सीडेंट इतना तेज था कि मैं खुद भी 2 फ़ीट आगे जा कर गिरा. मेरे सारे शरीर में दर्द हो रहा था और चक्कर से मेरा सिर घूमने लगा था. तभी आस-पास के मुस्लिम इलाकों से लोग दौड़ कर आये और उन्होंने हम सबको बाहर निकाला. मैं सच कहूं, अगर ये लोग नहीं होते, तो शायद हमारा बचना मुश्किल था.
इसके साथ ही भगवान दास का कहना है कि ‘वो लोग हमारे लिए पानी, खाट और एक प्राइवेट डॉक्टर को ले कर लाये.’ इस दल के अन्य संत मोरनी दास का कहना है कि ‘हम भगवान में विश्वास करते हैं, जिसे हमने एक्सीडेंट के तुरंत बाद देख लिया. ऐसे कई पल रहे हैं, जब हिन्दू और मुसलमानों का राजनीतिक इस्तेमाल किया गया है, पर असल में वो हमेशा से एक-दूसरे के साथ प्यार से रहते आये हैं.’
मेरठ के चीफ़ मेडिकल अफ़सर डॉ. राज कुमार चौधरी का कहना है कि ’23 लोगों को अलग-अलग हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है. इसके साथ ही 26 सरकारी और 26 गैर सरकारी एम्बुलेंस घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाने में जुटी है.’
हम बेशक किसी भी नेता के विचारों से प्रभावित हो, पर एक बात हमें खुद समझनी होगी कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता और सेवा से बड़ा कोई तप नहीं होता.
यदि आपका भी कोई सगा-संबंधी या दोस्त इस ट्रेन में सवार था, तो आप +919410609434 और 0121-2604977 नम्बरों पर सम्पर्क कर सकते हैं.