उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से तपोवन हाईड्रो-इलेक्ट्रिक पॉवर डैम जिसे ऋषि गंगा प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है पूरी तरह ध्वस्त हो गया है. भारतीय वायुसेना के Advanced Light Helicopter(ALH) ने जोशीमठ और आस-पास के क्षेत्रों में एरियल सर्वे किया और शुरुआती रिपोर्ट्स में ये खुलासा हुआ है. 

भारतीय वायुसेना के मुताबिक़, घाटी के नीचे हो रहे कई कन्स्ट्रक्शन कार्य नष्ट हुए हैं. नंदा देवी ग्लेशियर के शुरुआत से पिपलकोटी और चमोली तक मलबा देखा गया. 

एनटीपीसी लिमिटेड 3000 करोड़ की लागत से 520W के हाईड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी.

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NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, तपोवन क्षेत्र की मालारी घाटी के भी दो पुल नष्ट हो गये हैं. जोशीमठ और तपोवन के मैन रोड को क्षति नहीं पहुंची है.

बीते रविवार सुबह, ऋषिगंगा नदी के ऊपर बने रैनी गांव के ऊपर ग्लेशियर फटा और भीषण तबाही का मंज़र नज़र आया. ग्लेशियर फटने के बाद 170 से ज़्यादा लोगों के लापता होने की ख़बर मिली है.  

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भारतीय वायुसेना, थलसेना रेस्क्यू कार्यों में लगी हुई है. उत्तराखंड मुख्यमंत्री, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मृतकों के परिवार के लिए 4 लाख की सहायता राशि की घोषणा की है.

Live Mint की रिपोर्ट के अनुसार, 180 भेड़ और बकरियां बाढ़ में बह गये और 2 महिलाओं समेत 5 स्थानीय निवासियों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है.

मुख्यमंत्री रावत ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं. सहायता के लिए इन हेल्पलाइन नंबर्स पर संपर्क करें-  

1070, 1905, 9557444486.