
दरअसल, भूख से बेहाल करीब 50 भालुओं का एक झुंड खाने की तलाश में रूस के Belyushya Guba गांव में घूमते हुए पाया गया. कलाइमेट चेंज के कारण मछली और सील न मिलने से ये भालू भूख से इस कदर परेशान थे कि झुंड में से कुछ भालू गांव की सड़कों पर खाने की तलाश में निकल पड़े थे. उन्हें सड़क किनारे जहां भी कूड़े के डिब्बे दिखते वो उनमें खाना तलाशने लगते.
Los Osos Polares se ven obligados a buscar alimentos en tierra firme, a medida que disminuye el hielo marino de la isla Novaya Zemlya, #Rusia el 10.02.2019 por Muah Irina Elis. #CalentamientoGlobal #CambioClimatico #zabedrosky #Polar #Bear #ClimateChange #Belushya #Guba #Oso pic.twitter.com/28UyO5ICU9
— ⚠David de Zabedrosky🌎 (@deZabedrosky) February 11, 2019
जो पोलर बियर्स सालों-साल जंगलों और नदी किनारे शिकार किया करते थे, वो अब भोजन की तलाश में रिहायशी इलाक़ों में आने को मज़बूर हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कलाइमेट चेंज. जिसके ज़िम्मेदार कोई और नहीं हम इंसान ही हैं. कलाइमेट चेंज के कारण पर्याप्त भोजन न मिलने से इन भालुओं को दूसरे विकल्प की तलाश में रिहायशी इलाक़ों की ओर रुख़ करना पड़ रहा है.

इन पोलर बियर्स का इस तरह से गांव में आने से स्थानीय लोग परेशान लोग हो गए थे. जिस कारण प्रशासन ने एक सप्ताह के लिए इमरजेंसी घोषित कर दी और इस संबंध में राजधानी मास्को से मदद की अपील भी की.

पर्यवेक्षकों ने स्थानीय प्रशासन को दोषी ठहराते हुए कहा कि अधिकारियों ने शहर में फ़ैले कचरे को नजरअंदाज़ किया, जिस कारण पोलर बियर्स की इस तरह की तस्वीरें सामने आयीं.

पोलर बियर्स विशेषज्ञों का कहना है कि इन भालुओं का मानव जीवन के इतने करीब आने का मुख्य कारण समुद्र का देर से जमना है. क्योंकि समुद्र का पानी जमने से पोलर बियर्स को मछली या सील पकड़ने में आसानी होती है.

1980 के दशक से ही पूर्वी आर्कटिक में पोलर बियर्स पर अध्ययन करने वाले जीव विज्ञानी Anatoly Kochnev का कहना है कि आर्कटिक में लगातार हो रहे विकास कार्यों के चलते आने वाले समय में पोलर बियर्स और मनुष्यों के बीच जीवन यापन को लेकर संघर्ष बढ़ते जायेंगे.
रूस में कलाइमेट चेंज की ऐसी मार पड़ी है कि ये पोलर बियर्स कूड़ा करकट खाने को मज़बूर हैं.