Vice President Election: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) उप राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार होंगे. वहीं, विपक्ष की ओर से मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) को इस पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया गया है. देश का अगला उपराष्ट्रपति चुनने के लिए 6 अगस्त को वोटिंग होगी.  

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मगर बहुत से लोगों को ये नहीं पता है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव देश में कैसे होता है और इस पद से जुड़ी शक्तियां क्या हैं. ऐसे में आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं. साथ ही, उप राष्ट्रपति के पद के दोनों ही मुख्य उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा और जगदीप धनखड़ के बारे में भी बताएंगे.

कैसे होता है उप राष्ट्रपति का चुनाव? (Vice President Election)

उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया का संविधान के अनुच्छेद 66 में ज़िक्र है. इसके मुताबिक, उप राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ राज्यसभा और लोकसभा के सांसद ही वोट डाल सकते हैं. उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति के आधार पर किया जाता है. इसमें सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम के ज़रिए गुप्त मतदान होता है. (Vice President Election)

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राष्ट्रपति के चुनाव और उपराष्ट्रपति के चुनाव के बीच अंतर निर्वाचक मंडल की संरचना में है. दरअसल, उपराष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित और मनोनीत दोनों सदस्य शामिल होते हैं. जबकि, भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में केवल निर्वाचित सदस्य ही निर्वाचक मंडल का गठन करते हैं. साथ ही, उपराष्ट्रपति के लिए निर्वाचक मंडल में राज्य विधान सभाओं के सदस्य शामिल नहीं होते हैं, जबकि राष्ट्रपति चुनाव में राज्य विधानसभाओं/संघ राज्य क्षेत्रों के निर्वाचित सदस्यों को निर्वाचक मंडल में शामिल किया जाता है.

ऐसे में उप राष्ट्रपति का निर्वाचक मंडल लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों से मिलकर बनता है. इस तरह से उप राष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 सदस्य हिस्सा लेते हैं. राज्यसभा में कुल सांसदों की संख्या 245 है जिनमें चुने हुए सदस्य 233 और मनोनीत सदस्यों की संख्या 12 है. उसी तरह निचले सदन यानी लोकसभा में कुल 545 सदस्य हैं. इनमें चुने हुए सदस्य 543 और मनोनीत सदस्यों की संख्या 2 है. (Vice President Election)

उप राष्ट्रपति पद के कौन पात्र हो सकता है? (Eligibility)

कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और 35 साल को हो चुका है, उपराष्ट्रपति बनने के योग्य है.

संविधान का अनुच्छेद 66(4) कहता है कि ‘कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति के रूप में चुनाव के लिए पात्र नहीं होगा, अगर वो भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के तहत या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी भी सरकार के नियंत्रण के अधीन लाभ का कोई पद धारण करता है.’ 

ऐसे में चुनाव लड़ने वाले सदस्य को संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए. अगर कोई संसद सदस्य उप राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा. साथ ही, उप राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने के लिए उम्मीदवार को कम से कम 20 संसद सदस्यों को प्रस्तावक और कम से कम 20 संसद सदस्यों को समर्थक के रूप में नामित कराना होता है.

उपराष्ट्रपति की शक्तियां (Powers And The Significance Of Vice President)

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उप राष्ट्रपति के पास राष्ट्रपति के ठीक बाद भारत में दूसरा सर्वोच्च पद होता है. संविधान अनुच्छेद 63 के तहत देश में उप राष्ट्रपति होना ही चाहिए. उप राष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है. साथ ही, अगर किसी भी कारण से राष्ट्रपति का पद खाली होता है, तो उप राष्ट्रपति को ही कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभानी पड़ती है. (Vice President Election)

जानिए कौन हैं मार्गरेट अल्वा, जिन्हें विपक्ष ने बनाया है उप राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार 

मार्गरेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल को 1942 को कर्नाटक के मेंगलोर में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई कर्नाटक में ही पूरी की. उन्होंने माउंट कार्मेल कॉलेज और बेंगलुरु के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से बीए एलएलबी की पढ़ाई की. 1964 में निरंजन अल्वा से उनकी शादी हुई, जिनसे उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं. 2018 में उनके पति का निधन हो गया था.

कांग्रेस पार्टी की मेंबर मार्गरेट अल्वा चार बार राज्यसभा की सदस्य रह चुकी हैं. साल 1999 में वो उत्तर कन्नड़ सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा सदस्य भी बनीं.

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अल्वा को 42 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था. उन्होंने राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव के अधीन मंत्री के रूप में कार्य किया.

2008 में अल्वा ने कर्नाटक चुनावों के टिकट बेचने का आरोप लगाया था. जिसके कारण वो काफ़ी विवादों में भी आई थींं. इसके बाद उन्हें पार्टी के महासचिव पद से हटा दिया गया था.

बता दें, अल्वा ने गोवा, राजस्थान, गुजरात और उत्तराखंड के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया है.

मार्गरेट अल्वा और जगदीप धनखड़ के बीच कॉमन फ़ैक्टर 

एनडीए उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जगदीप धनकड़ और विपक्षी कैंडिडेट मार्गेरट अल्वा दोनों का ही बैगराउंड कांग्रेस से जुड़ा रहा है. दोनों ही राज्यपाल रह चुके हैं और केंद्रीय मंत्री भी. दोनों के पास कानून की डिग्री भी है, एक बार लोकसभा सदस्य रहे हैं और राजस्थान से जुड़े हुए हैं. दरअसल, धनखड़ राजस्थान के मूल निवासी हैं, जबकि 80 वर्षीय अल्वा वहां की राज्यपाल रह चुकी हैं. 

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बता दें, धनखड़ एक पूर्व विधायक, चंद्रशेखर सरकार में कुछ वक़्त के लिए मंत्री थे और जुलाई 2019 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के फिर से सत्ता में आने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. बतौर सत्ता पक्ष उम्मीदवार धनकड़ के उप राष्ट्रपति का चुनाव जीतने की ज़्यादा संभावना है. (Vice President Election)