जब कई बार अपील करने के बाद भी सरकार और स्थानीय प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी तो आंध्र प्रदेश के कुछ ग्रामीणों ने मामला अपने हाथ में ले लिया.
New Indian Express की एक रिपोर्ट के अनुसार, आंध्र प्रदेश के ज़िला विज़ियानगरम सरिका, वाराका और चिंतालावालासा गांव के लोगों ने ख़ुद से बेकार पड़ी एक नहर को ठीक कर लिया. हाल ही में आई बाढ़ की वजह से पानी के बहाव पर असर पड़ा था और नहर में रेत (Silt) जमा हो गई थी.

इस वजह से तीन गांव की लगभग 100 एकड़ खेती लायक ज़मीन को पानी नहीं मिल रहा था. ये नहर स्वर्णमुखी नदी से पानी खींचती है और तीनों गांव इस नहर के भरोसे ही खेती-बाड़ी करते हैं.
वाराका के एक गांववाले ने बताया,
‘हम अधिकारियों के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचे लेकिन उन्होंने हमारी दुख-दर्द पर ध्यान नहीं दिया.’

अधिकारियों के रवैये को देखते हुए ग्रामीणों ने जेसीबी मंगवाई और 50 हज़ार देकर ख़ुद ही नहर ठीक कर ली.
इससे पहले भी विजयनगरम के चिंतमाला गांव के लोगों ने ख़ुद ही पैसे जमा करके 3 किलोमीटर की सड़क बना ली थी. ग्रामीणों की ये कोशिश क़ाबिल-ए-तारीफ़ है और प्रशासन पर कड़े प्रश्न भी करती है.
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