ख़ुद पर विश्वास हो तो इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है. 

कुछ ऐसा ही कर दिखाया है महाराष्ट्र की इन 20 नेत्रहीन लड़कियों ने. 

एक महीने से शहर के विभिन्न हिस्सों से माटुंगा के मैदान पर 20 नेत्रहीन लड़कियां आकर जन्माष्टमी की प्रसिद्ध मटकी फोड़ प्रतियोगिता की तैयारी कर रही हैं.

गोविन्दों का ये समूह प्रभादेवी, मुलुंड, बोरिवली और ठाणे में अन्य स्थानों पर प्रतियोगिताओं में भाग लेगा. पिछले साल इस समूह ने 13 हांडियां फोड़ी थीं. 

एसआईईएस कॉलेज की 18 वर्षीय छात्रा आकांक्षा वाकड़, जो लगातार दूसरी बार दही हांडी समारोह में भाग ले रही हैं, अपनी पहली प्रतियोगिता से एक दिन पहले पूरी रात नहीं सोईं थीं. Hindustan Times से की गई बात में आकांशा बताती हैं, ‘मटकी फोड़ते वक़्त लोगों की जो प्रतिक्रिया आती है और जब वो हमको बताते हैं कि किस तरह हम उनको प्रेरित करते हैं.’ पैर में चोट होने के बावजूद अनुष्का अभ्यास करती है.

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उनके प्रदर्शन के दौरान, कोच पीवी देवेंद्र, जो आंशिक रूप से अंधे हैं, आयोजकों और दर्शकों से अनुरोध करके सुनिश्चित करते हैं कि कोई अत्यधिक शोर न हो ताकि वह टीम को परफ़ॉरमेंस के दौरान ज़रूरी निर्देश दे सकें. देवेंद्र कहते हैं, ‘उन्हें चढ़ने में समस्या का सामना नहीं करना पड़ता क्योंकि वो इतने लंबे समय से अभ्यास कर रही हैं.’

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दही हांड़ी उत्सव में नेत्रहीन लोगों को भाग दिलवाने का विचार नयन फ़ाउंडेशन के समूह ने दिया था. नयन फ़ाउंडेशन की सेक्रेटरी, शार्दुल महदगुत कहती हैं, ‘ये मटकी फोड़ की टोली जल्द ही दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय दही हांडी प्रतियोगिता में हिस्सा लेगी.’ 

गोविंदा आला रे आला…!