अभी कुछ दिन पहले ही नार्थ कोरिया के तानाशाह शासक के भाई Kim Jong-Nam की रहस्यमयी तरीके से हत्या कर दी गई. कई एजेंट्स इस बात का पता भी नहीं लगा पाए कि आख़िर Kim को मारा कैसे गया. मौत की फुटेज देखने के बाद भी कुछ साबित नहीं हो पाया था. इतने में एक मलेशियन Toxicologists ने खुलासा कर दिया कि Kim Jong-Nam की हत्या एक प्रतिबंधित ज़हर VX से की गई थी. आपको बता दें कि ये ज़हर इतना ख़तरनाक होता है कि इसका उपयोग Mass Destruction के लिए होता आया है.

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इसको बनाने वाले अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसके कंपाउंड के आधार पर इसका नाम VX रखा था. ये दुनिया में अभी तक बनाये गए सबसे ख़तरनाक ज़हरों में से एक है. इस ज़हर को शीतयुद्ध के दौरान ही अमेरिका ने भारी मात्रा में खरीद कर रख लिया था. आपको बता दें कि ये ज़हर दुनिया के सबसे ख़तरनाक ज़हर Sarin Toxin से दस गुना ज़्यादा शक्तिशाली है. ये ज़हर गंधहीन और रंगहीन होता है. इसको आसानी से कहीं ले जाया जा सकता है. जिस जगह इस ज़हर को ज़्यादा देर तक रखा जाता है, उस जगह पर भी इसका बुरा असर पड़ता है.

जापान Ground Self-Defense Force Chemical School के पूर्व प्रिंसीपल के अनुसार, इस ज़हर का मात्र 5 मिलीग्राम 70 किलो के एक आदमी को मारने के लिए काफ़ी है. हैरानी की बात ये है कि जिस किसी ने Kim Jong-Nam को ये ज़हर दिया उसने नंगे हाथों दिया. उसे पता नहीं होगा कि ये मटेरियल VX है, वर्ना वो ऐसी जुर्रत नहीं करता. ये ज़हर शरीर में जाते ही स्नायुतंत्र पर हमला कर देता है. अगर भारी मात्रा में इसको ग्रहण कर लिया जाए, तो ब्लड वेसल्स में मिलकर ये ज़हर फेंफड़ों तक पहुंच जाता है और शरीर के सारे अंगों में ज़हर के कंपाउंड को पहुंचा देता है. इस वजह से ग्रंथियों से मांसपेशियां इतनी थक जाती हैं कि सांस लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पातीं.

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सबसे पहले इस ज़हर को 1950 में एक ब्रिटिश लेबोरेटरी में बनवाया गया था. पर इसको पहली बार आज़माया अमेरिकी आर्मी ने सोवियत यूनियन के खिलाफ़. 1980 में शीतयुद्ध खत्म होने के बाद इंडिआना में एक एयरपोर्ट पर कई हज़ार टन VX को तबाह कर दिया गया था. ऐसा अंदाज़ा लगाया जाता है कि इसमें से कुछ हिस्सा अमेरिका और जापान ने छिपा कर रख लिया था. जिसे वो कभी-कभी अपने दुश्मनों के खिलाफ़ यूज़ करते थे. इसका प्रभाव बहुत भयावह होता था. कुछ जानकारों का ऐसा मानना है कि इराक़ी तानाशाह सद्दाम हुसैन के पास भी VX था, जिसका उपयोग उसने 1988 में कुरदीश शहर में पांच हज़ार लोगों को मारने के लिए किया था.

United Nations ने इसको Mass Destruction वाले हथियारों की श्रेणी में रखा है. International Chemical Weapons Convention 1997 के अनुसार, देशों के पास इस ज़हर को बड़ी कम मात्रा में रिसर्च के लिए रखने का अधिकार है. लेकिन इसके लिए भी इन्हें इसकी घोषणा करनी होगी और ये भी बताना होगा कि वो रिसर्च के बाद इसका नाश कर देंगे. नार्थ कोरिया CWC का हिस्सा नहीं है, इसलिए अगर उसके पास VX मिलता भी है, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है.

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