मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है…अगर वही जीवन मैला हो जाए, तो वो कैसे जियेगी. लोगों को इस पर सोचने की ज़रूरत है. अगर लोग सोचने लगेंगे तो, जो फ़िलीपींस में हुआ वो नहीं होगा. दरअसल, फ़िलीपींस के तट पर एक व्हेल की ‘गैस्ट्रिक शॉक’ की वजह से मौत हो गई है. 

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क्षेत्रीय मत्स्य ब्यूरो के मुताबिक, इस मछली की मौत प्रदूषण के चलते हुई है, जो दक्षिणी प्रांत की कम्पोस्टेला घाटी में पाई गई. इसकी लंबाई 4.7 मीटर है.

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Guardian की रिपोर्ट के अनुसार, मरीन बॉयोलॉजिस्ट और डी बोन कलेक्टर संग्रहालय के कार्यकर्ता, मछली की मौत की इस वजह से स्तब्ध हैं. अटॉप्सी रिपोर्ट की मानें, तो मछली के पेट से क़रीब 40 किलोग्राम प्लास्टिक, जिसमें 16 चावल की खाली बोरी, केला रोपण शैली के बैग और और कई सारे प्लास्टिक शॉपिंग बैग शामिल हैं. ये बहुत ही घृणास्पद बात है. सरकार को ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त क़दम उठाने चाहिए, जो समुद्र को गंदा करते हैं.  

डी बोन कलक्टर म्यूज़ियम के निदेशक डारेल ब्लेचले ने कहा, कि पोस्टमार्टम में इस बात का पता चला है कि प्लास्टिक कचरा खाने से व्हेल को गैस की समस्या हो गई थी, जिसके चलते वो कुछ खा नहीं पा रही थी और भूख की वजह से वो मर गई. साथ ही बताया कि पिछले 10 सालों में क़रीब 57 डॉल्फ़िंस की मौत हो चुकी है और सबकी वजह कचरा और प्लास्टिक रही है.

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2017 की रिपोर्ट के अनुसार, चीन, इंडोनेशिया, फ़िलीपींस, थाईलैंड और वियतनाम के समुद्रों में सबसे ज़्यादा कचरा फेंका जाता है.

जून 2018 के अनुसार, थाईलैंड में एक व्हेल की मौत हुई थी, जिसके पेट से 80 प्लास्टिक बैग मिले थे. जिनका वज़न 8 किलोग्राम था. 

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अगर लोग जीव-जंतुओं की परवाह करने लगें और कचरा समुद्र में या कहीं भी न फेकें, तो जीव-जंतु या जानवरों की मौत का कारण ये कचरा नहीं होगा. इसलिए ये निर्णय आपको और हमें लेना है, कि इसकी वजह ‘गैस्ट्रिक शॉक’ है या लोगों का ‘लापरवाह रवैया’?