हवाई-जहाज़ के आविष्कार ने दुनिया को तेज़ गति से बदलने का काम किया है, क्योंकि इसने भौगोलिक दूरियों को कम कर विश्व को जोड़ने का काम किया. लेकिन, इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं करा जा सकता है कि सबसे तेज़ परिवहन का साधन होने के साथ-साथ ये सबसे जोखिम भरा भी होता है. इतिहास, खंगाले, तो आपको प्लेन या हेलीकॉप्टर क्रैश की बड़ी घटनाएं जानने को मिलेंगी.
आख़िर क्या होता है ब्लैक बॉक्स?
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अब आपको बताते हैं कि आख़िर क्या होता है ब्लैक बॉक्स? दरअसल, ब्लैक बॉक्स एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग डिवाइस है, जो प्लेन या हेलीकॉप्टर की सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड करने का काम करता है. यही वजह है इसे एफडीआर यानी फ़्लाइट डाटा रिकॉर्डर कहा जाता है. वहीं, जब भी कोई प्लेन क्रैश होता है, तो ब्लैक बॉक्स को सही सलामत बाहर निकालना ज़रूरी हो जाता है, जिससे हादसे की सही वजह का पता सग सके.
बनाया जाता है टाइटेनियम से
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जैसा कि हमने बताया कि ब्लैक बॉक्स प्लेन की सभी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है, इसलिए इसकी मज़बूती भी मायने भी रखती है. इसलिए, इसे मज़बूत धातु टाइटेनियम से बनाया जाता है. वहीं, इस बॉक्स को अंदर से भी इसे मज़बूत बनाया जाता है कि रिकॉर्ड हुआ डाटा सेफ़ रहे. वहीं, कहा जाता है कि ये एक घंटे तक ये 1 हज़ार डिग्री सेंटीग्रेट तापमान सहन कर सकता है. वहीं, अगले 2 घंटे तक गर्मी सहन करने की क्षमता घटकर 260 डिग्री हो जाती है यानी अगर प्लेन में आग भी लग जाए, तो इसके पूरी तरह नष्ट होने का जोखिम कम होता है. वहीं, ऐसा कहा जाता है कि ये बिना बिजली के भी ये लगभग 1 महीने तक काम कर सकता है.
क्यों पड़ी इसकी ज़रूरत?
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जानकारी के अनुसार, ब्लैक बॉक्स को बनाने का काम 1950 से शुरू हो गया था. ऐसा कहा जाता है कि विमानों की फ़्रीक्वेंसी बढ़ने के साथ-साथ विमान हादसे बढ़ गए थे. वहीं, कई बार हादसों की सही वजह पता नहीं चल पाती थी. इस वजह से एक ऐसे प्लेन रिकॉर्डर की ज़रूरत पड़ी जो विमान की गतिविधियों को रिकॉर्ड कर सके.
डेविड वॉरेन
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इस ख़ास डिवाइस का आविष्कार करने वाले व्यक्ति का नाम था डेविड वॉरेन. डेविड एक Aeronautical Researcher थे जिन्होंने इस डिवाइस को 1953 में बनाया था. वहीं, इसका नाम ब्लैक बॉक्स है पर ये गहरे नारंगी रंग का होता है. इसके नाम के पीछे कई मतभेद है. कुछ लोगों का मानना है कि इसकी भीतरी दीवार काले रंग की होती है इसलिए इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाता है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि काला रंग हादसे से जुड़ा हुआ है इसलिए इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाता है. वहीं, इसे प्लेन के पीछे रखा जाता है ताकि अगर प्लेन क्रैश हो, तो कम से कम ये सुरक्षित रहे.
क्या है CVR?
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FDR यानी फ़्लाइट डाटा रिकॉर्डर के अलावा प्लेन में एक और डिवाइस होता है जिसे Cockpit Voice Recorder (CVR) के नाम से जाना जाता है. ये रिकॉर्डर कॉकपिट के अंदर की आवाज़ को रिकॉर्ड करने का काम करता है. यहां तक कि इसमें दोनों पाइलटों की बातें भी रिकॉर्ड होती हैं.
निकलती हैं तरंगे और आवाज़ें
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ऐसा कहा जाता है कि अगर प्लेन क्रैश हो जाए, तो इसमें से एक तरह की आवाज़ निकलती रहती है ताकि इस खोजने वालों को इसका पता लग जाए. वहीं, अगर ये समंदर में 20 हज़ार फ़ीट की गहराई में भी चला जाता है, तो इससे निरंतर तरंगे और आवाज़ें निकलती रहती है. ऐसा एक महीने तक जारी रह सकता है. इसकी ये खासियतें इसे ढूंढने में आसान बनाती हैं.