कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दुनियाभर में कोविड-19 टेस्ट को तेज़ करने पर ज़ोर रहा है. भारत में भी लगातार संक्रमितों की टेस्टिंग की जा रही है. लेकिन अभी भी इसकी रफ़्तार संतोषजनक नहीं है. साथ ही टेस्ट की रिपोर्ट भी देर में आती है, जिसके कारण वायरस के दूसरों तक फैलने का ख़तरा बना रहता है.

ऐसे में दो भारतीयों वैज्ञानिकों देबज्योति चक्रवर्ती और सौविक मैती द्वारा विकसित पेपर बेस्ड डायग्नॉस्टिक टेस्ट ‘फ़ेलूदा’ गेम चेंजर साबित हो सकता है. सत्यजीत रे की फ़िल्मों के जासूसी कैरेक्टर की तरह ही इस टेस्ट को नाम फेलूदा दिया गया है. भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफ़ेसर के. विजय राघवन ने BBC को बताया कि, ‘ये एक सरल, सटीक, विश्वसनीय, मापनीय और मितव्ययी परीक्षण है.’
India’s new paper Covid-19 test could be a ‘game changer’ https://t.co/rGnZfFuEpg
— BBC News (World) (@BBCWorld) October 4, 2020
एक घंटे में देगा रिज़ल्ट
इस पेपर स्ट्रिप टेस्ट किट को इंस्टिट्यूट ऑफ़ जिनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बॉयोलॉजी (IGIB) के दो साइंटिस्ट देबज्योति चक्रवर्ती और सौविक मैती ने डिजाइन किया है. ये टेस्ट एक जीन एडिटिंग तकनीक़ पर आधारित है जिसे क्रिस्प कहा जाता है. दिलचस्प बात ये है कि वर्तमान rRT-PCR की तुलना में फ़ेलूदा महज़ एक घंटे में परिणाम देगा, जो बहुत तेज़ है. फेलुदा परीक्षण लगभग 2,000 रोगियों के नमूनों पर किया गया, जिसमें पाया कि नए परीक्षण में 96 प्रतिशत संवेदनशीलता और 98 प्रतिशत विशिष्टता थी.

इस टेस्ट में 500 रुपये की लागत आने की उम्मीद है. टाटा समूह के साथ इस किट को बनाने का क़रार किया गया है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की तरफ़ से इसके कमर्शियल लॉन्च को मंज़ूरी भी मिल गई है.
रैपिड एंटीजन टेस्ट की ले सकता है जगह
भारत अब तक PCR टेस्ट और रैपिड एंटीजन टेस्ट का उपयोग कर रहा है. PCR टेस्ट विश्वसनीय हैं लेकिन इसकी लागत 2,400 रुपये है, जबकि रैपिड एंटीजन टेस्ट सस्ता है लेकिन ये उतना विश्वसनीय नहीं है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि फेलुदा परीक्षण संभवतः रैपिड एंटीजन टेस्ट की जगह ले सकता है क्योंकि ये तुलनात्मक रूप से सस्ता है और सटीक है.

IGIB के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया, ‘नए टेस्ट में PCR टेस्ट की विश्वसनीयता है, साथ ही ये जल्दी और छोटी प्रयोगशालाओं में बिना अत्याधुनिक मशीनों के किया जा सकता है.’
फेलुदा परीक्षण के लिए नमूना संग्रह तकनीक PCR टेस्ट के समान होगी, इसमें कोरोना जांच के लिए नाक के कुछ इंच अंदर एक स्वैब डाला जाएगा. इसमें रियल टाइम रिवर्स पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन के लिए ज़रूरी मशीनरी और इसके इस्तेमाल के लिए कुशल जनशक्ति की आवश्यकता नहीं होगी. मानक PCR मशीनों का उपयोग किया जा सकता है, जो अधिक आसानी से उपलब्ध हैं.

बता दें, इसमें एक पतली सी स्ट्रीप होगी, जिस पर दो बैंड होंगे. पहला बैंड कंट्रोल बैंड है, इस बैंड का रंग बदने का मतलब होगा की स्ट्रीप का इस्तेमाल सही ढंग से किया गया है. दूसरा बैंड है टेस्ट बैंड, इस बैंड का रंग बदलने का मतलब होगा कि मरीज़ कोरोना पॉज़िटिव है. कोई बैंड नहीं दिखे तो मरीज को कोरोना नेगेटिव मान लिया जाएगा.
यक़ीनन भारत की इतनी बढ़ी आबादी को देखते हुए एक सस्ता और विश्वसनीय कोविड-19 पेपर-टेस्ट एक इनोवेटिव और ज़रूरी क़दम है, जिसकी देश में सख़्त ज़रूरत है.