देश की राजधानी दिल्ली में हनुमान जयंती के दिन जहांगीरपुरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा(Jahangirpuri Violence) में 8 पुलिसकर्मी और एक स्थानीय व्यक्ति जख़्मी हो गया था. इस मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच 80 से अधिक लोगों की संदिग्ध भूमिका होने की जांच कर रही है. पुलिस ने 18 से अधिक स्थानों पर संदिग्धों की तलाश में छापेमारी भी की है.

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इससे पहले दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी जो पहली जांच रिपोर्ट सौंपी थी उसमें आपराधिक षड्यंत्र के तहत हिंसा होने की बात कही थी. पुलिस इस केस की जांच तेज़ी कर रही है और आरोपियों को पकड़ने के लिए लगातार छापामारी कर रही है. दिल्ली पुलिस ने जहांगीरपुरी हिंसा में शामिल 5 आरोपियों के खिलाफ़ सख़्त कार्रवाई करते हुए नेशनल सिक्‍युरिटी एक्‍ट(National Security Act) यानी राष्‍ट्रीय सुरक्षा क़ानून लगाया है.   

चलिए आज जानते हैं कि क्या होता है रासुका(राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून)? ये कब और किस पर लगाया जाता है?

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क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(National Security Act)? 

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रासुका का मतलब राष्‍ट्रीय सुरक्षा क़ानून(National Security Act) है. इसमें हिरासत में लिए व्यक्ति को अधिकमत 1 साल जेल में रखा जा सकता है. अगर पुलिस को लगता है कि आरोपी राष्ट्रीय सुरक्षा और क़ानून व्यवस्था के लिए ख़तरा है तो वो उसे बिना किसी आरोप के भी एक साल तक जेल में रख सकती है.

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कब बना था ये क़ानून

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देश के संविधान में कई प्रकार के क़ानून बनाए गए हैं. ये क़ानून अलग-अलग स्थिति में लागू किए जाते हैं. इन्हीं में से एक है रासुका. देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान 23 सितंबर 1980 को इसे बनाया गया था. हालांकि, इस क़ानून की रूपरेखा लगभग दो सदी पहले 1818 में ब्रिटिश काल के दौरान तैयार हुई थी. ये क़ानून देश की सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है. इस क़ानून के तहत केंद्र और राज्य सरकार संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के हिरासत में लेने की शक्ति मिलती है.

इसके तहत किन लोगों को गिरफ़्तार किया जाता है और उसके क्या अधिकार हैं

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1. अगर सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति उसे देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है. 


2. इस क़ानून का इस्तेमाल पुलिस आयुक्त,जिलाधिकारी, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है. अगर सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति क़ानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ी कर रहा है तो वो उसे हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है.  

3. राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को आरोप तय किए बिना 10 दिनों के लिए कै़द में रखा जा सकता है. गिरफ़्तार हुए व्यक्ति को उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील करने का अधिकार है, लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील लेने की अनुमति नहीं है.  

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NSA जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होता. National Crime Records Bureau(NCRB) इस एक्ट के तहत गिरफ़्तार हुए लोगों की जानकारी कभी जारी नहीं करता. इस एक्ट के तहत गिरफ़्तार शख़्स पर आम नागरिकों की तरह गिरफ़्तारी के समय संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकार भी लागू नहीं होते.