Special Task Force (STF): देश की आतंरिक सुरक्षा को बनाये रखने के लिए पुलिस विभाग सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है. पुलिस का काम केवल अपराधियों को पकड़कर जेल में डालना ही नहीं, बल्कि क़ानून व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने का जिम्मा भी होता है. सड़क और परिवहन व्यवस्था को संभालने के लिए यातायात पुलिस, आम जनता की परेशानियों को सुनने के लिए थाने और कोतवाली पुलिस, जबकि अपराधियों की धर पकड़ के लिए ‘स्पेशल टास्क फ़ोर्स’ काम करती है. आपने अक्सर फ़िल्मों में देखा होगा कि पुलिस किसी बड़े क्रिमिनल को पकड़ने के लिए अपनी एक सीक्रेट टीम बनाती है. अपराधी को भनक लगे बिना पुलिस की ये सीक्रेट टीम उसके ठिकानों पर पहुंचकर उसे और उसके साम्राज्य को तबाह कर देती है.
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आज हम बात स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) की करने जा रहे हैं. क्योंकि आज (4 मई) STF का स्थापना दिवस है. चलिए जानते हैं आख़िर क्या ख़ास बात होती है पुलिस की इस स्पेशल यूनिट की.
कब हुई थी STF की शुरुआत?
भारत में Special Task Force (STF) का गठन 4 मई, 1998 को लखनऊ में हुआ था. इस दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस ने राज्य में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए इस स्पेशल पुलिस फ़ोर्स का गठन किया था. देश की कुछ प्रमुख समस्याओं से निपटने के लिए पुलिस द्वारा स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) का गठन किया गया था. इसका मुख़्य कार्य किसी स्पेशल टास्क के लिए पुलिस विभाग को अहम जानकारियां उपलब्ध कराना होता है. आपराधी या आपराधिक नेटवर्क को निष्क्रिय करने और आतंकवाद विरोधी गतिविधयों पर नज़र रखना भी इस फ़ोर्स का मुख्य कार्य है. देश के हर राज्य की पुलिस के पास एक Special Task Force (STF) होती है.
4 मई 1998
— UPSTF (@uppstf) May 4, 2022
आज यूपी एसटीएफ का स्थापना दिवस pic.twitter.com/Eq8n46rQ5x
क्यों हुई थी STF की शुरुआत?
तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों ने पहली बार 1980 के दशक में स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) की शुरुआत ‘वीरपन’ को पकड़ने के लिए की थी. साल 2004 में स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने ‘ऑपरेशन कोकून’ के तहत ‘वीरपन’ को मार गिराया था. सन 1980 के दशक के अंत में पंजाब में उग्रवाद का मुक़ाबला करने के लिए इसी तरह की पुलिस फ़ोर्स का गठन किया गया था. लेकिन सन 1998 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कुख़्यात अपराधी श्री प्रकाश शुक्ला को मार गिराने के लिए पहली बार आधिकारिक तौर पर Special Task Force (STF) का गठन किया था.
स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) के प्रमुख कार्य
1- डकैतों के गिरोह, खासकर अंतर-ज़िला गिरोहों के ख़िलाफ़ प्रभावी करना.
2- संगठित अपराधियों के अंतर-ज़िला गिरोहों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करना.
3- ज़िला पुलिस के समन्वय से सूचीबद्ध गिरोहों के ख़िलाफ़ त्वरित कार्रवाई करना.
4- माफ़िया गिरोहों के बारे में खुफ़िया जानकारी एकत्र करना और ऐसे गिरोहों के ख़िलाफ़ खुफ़िया कार्रवाई करना.
5- विघटनकारी तत्वों विशेष रूप से आईएसआई एजेंटों के ख़िलाफ़ कार्य योजना तैयार करना और उसका निष्पादन करना.
कौन होता है STF का बॉस?
Special Task Force (STF) का नेतृत्व एडिशनल डायरेक्टर जनरल रैंक का अधिकारी करता है, जिसे एक इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस असिस्ट करता है. STF अलग-अलग टीम में काम करती है, प्रत्येक टीम के नेतृत्व में एक एडिशनल एसपी या डिप्टी एसपी होता है. स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) द्वारा संचालित सभी ऑपरेशन का प्रभारी एसएसपी होता है. यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) की बात करें तो इसकी टीमें संबंधित राज्य पुलिस की सहायता से राज्य के अंदर और बाहर भी काम करती हैं.
Special Task Force (STF)
यूपी पुलिस को क्यों आन पड़ी STF की ज़रूरत?
1990 के दशक में उत्तर प्रदेश में कुख़्यात अपराधी श्री प्रकाश शुक्ला (Shri Prakash Shukla) आतंक का सबसे बड़ा नाम बन गया था. इस दौरान शुक्ला का डर ऐसा था कि पुलिस भी उसके रास्ते से हट जाया करती थी. तब यूपी में जबरन वसूली और अन्य अवैध गतिविधियां अपने उच्चतम स्तर पर थीं. श्री प्रकाश शुक्ला ने ही उत्तर प्रदेश की धरती पर पहली बार सन 1996 में AK-47 चलाई थी. ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस को शुक्ला के ख़ात्मे के लिए ‘स्पेशल टास्क फ़ोर्स’ बनानी पड़ी.
टीवी शो ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ की अहम भूमिका
दरअसल, साल 1998 में भारत में एक मशहूर टीवी क्राइम शो टेलीकास्ट होता था जिसका नाम ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ था. इसके एंकर सुहैब इलियासी थे. 8 सितंबर, 1998 को ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ के एक एपिसोड में यूपी के मोस्ट वांटेड अपराधी श्री प्रकाश शुक्ला के बारे में दिखाया गया था. इसके बाद शुक्ला की तरफ़ से सुहैब इलियासी को कई धमकी भरे फ़ोन आने लगे. 10 सितंबर, 1998 को यूपी पुलिस फ़ोन एक गुमनाम फ़ोन कॉल आया था जिसमें कहा गया था कि श्री प्रकाश शुक्ला और उसके सहयोगियों को दिल्ली के AIIMS के पास नीले रंग की Daewoo Cielo कार में देखा गया है. लेकिन शुक्ला पुलिस की गिरफ़्त में आने से पहले ही चंपत हो लिया.
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21 सितंबर को यूपी पुलिस के पास एक और गुमनाम फ़ोन कॉल आया जिसमें बताया गया कि श्री प्रकाश शुक्ला और उसके साथियों को ग़ाज़ियाबाद में नीले रंग की उसी Daewoo Cielo कार में देखा गया था. इसके बाद दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस ने तुरंत अपनी- अपनी टीमें ग़ाज़ियाबाद भेज दीं. आख़िरकार 22 सितंबर 1998 को उत्तर प्रदेश पुलिस की Special Task Force (STF) ने ग़ाज़ियाबाद के एक अपार्टमेंट परिसर के बाहर श्री प्रकाश शुक्ला को एनकाउंटर में मार गिराया. बताया गया था कि शुक्ला कई दिनों से दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में छिपा हुआ था और वो अपनी प्रेमिका से मिलने ग़ाज़ियाबाद आया था.
शुक्ला की ज़िंदगी पर बन चुकी हैं फ़िल्म व वेब सीरीज़
साल 2005 में STF के काम करने के तरीके पर आधारित ‘सहर’ फ़िल्म रिलीज़ हुई थी. इस फ़िल्म की कहानी श्री प्रकाश शुक्ला पर आधारित थी. शुक्ला का किरदार एक्टर सुशांत सिंह ने निभाया था. जबकि अरशद वारसी ने STF ऑफ़िसर का किरदार निभाया था. साल 2010 में टीवी सीरीज़ ‘गुनाहों का देवता‘ प्रसारित किया गया था. इसका एक एपिसोड श्री प्रकाश शुक्ला पर आधारित था. साल 2018 में रिलीज़ वेब सीरीज़ ‘रंगबाज़’ में एक्टर साकिब सलीम ने श्री प्रकाश शुक्ला का किरदार निभाया था.
उत्तर प्रदेश में अपराधियों को पकड़ने और अपराधों को नियंत्रित करने में Special Task Force (STF) सफल साबित हुई. तब से ये यूपी पुलिस की अभिन्न अंग बन गई है.