15 दिसंबर, 2019 की रात को जामिया मिलिया इस्लामिया के अंदर दिल्ली पुलिस और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अंदर उत्तर प्रदेश पुलिस घुसी और छात्रों की अंधाधुन पिटाई की. न किसी से कुछ पूछा गया न किसी की कुछ सुनी गई. सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें और वीडियोज़ साफ़ तौर पर बता रहे हैं कि पुलिस ने न आव देखा न ताव, न जगह देखी न कुछ और बस पीटते गए. 

Asianet News

गार्ड को भी दिल्ली पुलिस ने पीटा


सेना के पूर्व सदस्य और यूनिवर्सिटी के गार्ड को भी दिल्ली पुलिस ने नहीं बख़्शा. 

अब के क्या हो रहा है जामिया में? 


जामिया के छात्रों का आरोप है कि छात्रों पर गोलियां भी चलाई गईं. पुलिस ये दावा कर रही है कि पुलिस को आंसू गैस के गोलों के शेल्स लगे होंगे. 

रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में 2 और होली फ़ैमिली अस्पताल में 1 शख़्स गोली के ज़ख़्मों के साथ एडमिट हैं. डॉक्टर्स ने भी यही कहा कि ये लोग गोली के ज़ख़्म से घायल हुए हैं और ज़ख़्मी लोगों ने भी यही कहा. 

जेसीपी (जॉइंट कमीश्नर ऑफ़ पुलिस) देवेश श्रीवास्तव का कहना है कि उनकी पुलिस ने किसी को गोली नहीं मारी और उनके पास रबर बुलेट्स नहीं है. 

ग़ौरतलब है कि सोशल मीडिया के वीडियोज़ कुछ और ही कहानी कहते हैं. 

जामिया के बाहर प्लेकार्ड्स के लेकर छात्र मंगलवार को भी विरोध करते दिखाई दिए. बीते सोमवार को इंडिया गेट के सामने भी छात्रों ने पुलिस की बर्बरता का विरोध किया. 

Indian Express

10 लोगों की गिरफ़्तारी 


Indian Express की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, बीते मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने जामिया मिलिया इस्लामिया में रविवार को हुए हिंसा से जुड़े होने के संदेह में जामिया नगर से 10 लोगों को गिरफ़्तार किया. पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि ये 10 लोग छात्र नहीं हैं पर इनका क्रिमिनल बैकग्राउंड है.

अलिगढ़ के मौजूदा हालात 


16 दिसंबर की NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस, ओ.पी.सिंह ने कहा कि वो विश्वविद्यालय को खाली करवा रहे हैं. सिंह ने पुलिस द्वारा तोड़-फोड़ और आगज़नी की ख़बरों को ग़लत बताया. हालांकि इस मामले में भी सोशल मीडिया पर आईं तस्वीरें कुछ और ही कहानी कह रही हैं. 

India Today की रिपोर्ट के मुताबिक़, यहां रविवार के मसले के बाद 21 लोगों को गिरफ़्तार किया गया. 

रविवार को हुई घटना के बाद अलिगढ़ में इंटरनेट बंद कर दिया गया था. 

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ? 


सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच जिसमें चीफ़ जस्टिस एस.ए.बोबड़े, जस्टिस बी.आर.गवई और जस्टिस सुर्यकांत के सामने जामिया और एएमयू के मामले पर सुनवाई चल रही थी. 

काउंसिल ने कहा कि जामिया और एएमयू में घेराबंदी की गई और उनके पास विरोध का अधिकार है. उन पर एफ़आईआर न किया जाये और दिल्ली पुलिस पर कार्रवाई की जाये. 

जस्टिस बोबड़े ने कहा कि ये घटनायें अलग-अलग जगह पर हुईं और अलग-अलग अधिकारियों ने अलग-अलग स्टेप्स लिए. फ़ैक्ट्स की जांच के लिए सही कोर्ट में जायें, ये ट्रायल कोर्ट नहीं है. 

सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग पेटिशन ख़ारिज कर दीं और पेटिशन दायर करने वालों को हाईकोर्ट जाने को कहा. 

Millat Times

नेताओं का बयान 


देश के कई पार्टियों के नेताओं ने छात्रों के साथ हुए अत्याचार पर आपत्ति जताई. बीते सोमवार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इंडिया गेट पर प्रदर्शन किया. 

देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि

‘सीएए पर हिंसात्मक प्रदर्शन बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद हैं. 
वाद-विवाद, विचार-विर्मश और मतभेद लोकतंत्र का अहम हिस्सा है पर पब्लिक प्रोपर्टी को नुकसान पहुंचाना और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में खलल डालना कभी हमारा स्वभाव नहीं रहा है.’  

गृहमंत्री ने अमित शाह ने झारखंड में रैली के दौरान कहा कि छात्रों को ट्रैप में न पड़कर नागरिकता संशोधन एक्ट को एक बार पढ़ना चाहिए. शाह ने ये भी कहा कि 4 महीने में श्री राम का भव्य मंदिर बन जायेगा.