लोक सभा चुनाव बस आ ही गए. फ़िल्म, डॉक्युमेंट्री के अलावा इस दौर में फ़ेक न्यूज़ का भी बोल-बाला बढ़ रहा है.
चाहे वो जिगनेश मेवानी के थप्पड़ की ख़बर हो या फिर कुछ और.

फ़ेक न्यूज़ WhatsApp के ज़रिए काफ़ी तेज़ी से फैलता है. इस ऐप के भारत में 200 Million से भी ज़्यादा यूज़र्स हैं. WhatsApp पर वायरल हुई फ़ेक न्यूज़ की वजह से कई मासूम ज़िन्दगियां बर्बाद हो चुकी हैं.
Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को फ़ैक्ट चेकिंग सर्विस शुरू की गई.

एक स्टेटमेंट ने WhatsApp ने बताया कि उसने लोकल स्टार्टअप Proto को यूज़र्स द्वारा भेजे गए संदेशों को ‘True’, ‘False’, ‘Misleading’ या ‘Disputed’ में बांटने का ज़िम्मा दिया है. Proto, ग़लत जानकारी को अच्छे से समझने के लिए एक डेटाबेस भी तैयार कर रहा है.
WhatsApp के End To End Encryption के कारण Misinformation की जांच में कठिनाई होती है.
फ़ेसबुक ने सोमवार को भारत और पाकिस्तान के 712 अकाउंट और 390 पेज को ‘ग़लत व्यवहार’ के इल्ज़ाम में डिलीट कर दिया.
भारत की राजनैतिक पार्टियां एक-दूसरे पर फ़ेक न्यूज़ फैलाने का दोष मढ़ती है पर आम जनता भी किसी भी ख़बर की बिना जांच किए आगे Forward कर देती है.
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