पापा वो होते हैं जो कितना भी डांटे, लेकिन बेटे के सबसे अच्छे दोस्त वही होते हैं. उनके होने से किसी से डर नहीं लगता है. न जाने बचपन की कितनी यादें होती हैं जो हम अपने पिता के साथ बांटते हैं.
ऐसी ही एक पिता-पुत्र लेफ़्टिनेंट जनरल एएन औल और उनके इकलौते बेटे कर्नल अमित औल हैं, जो पहली ऐसी जोड़ी हैं जिन्होंने कारगिल में एक साथ हिस्सा लिया. इन्होंने कारगिल ज़िले के द्रास कस्बे के लामोचन में कारगिल युद्ध से जुड़ीं अपनी यादों को ताज़ा किया. उन्होंने इस मौके पर कारगिल युद्ध के शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि भी दी.
1999 में पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध में लेफ़्टिनेंट जनरल औल 56 माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर थे, जिसने द्रास सब सेक्टर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण टाइगर हिल पहाड़ी पर कब्ज़ा किया था. वहीं अमित उस समय 3/3 गोरखा राइफ़ल्स में सेकंड लेफ़्टिनेंट थे. अमित मारपो ला एरिया में तैनात थे. फ़िलहाल लेफ़्टिनेंट जनरल औल वेस्टर्न कमांड के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ के पद से रिटायर हो चुके हैं. अब औल परिवार पंचकुला में रहता है.
TOI को बताया,
मेरे पिता ने मुझे कहा था कि तुम एक सैनिक हो जो युद्ध के लिए बना है. इसलिए सारी बातें मां को न बताया करो. पूरे कारगिल युद्ध के दौरान अमित कभी अपने पिता से नहीं मिले. युद्ध ख़त्म होने के लगभग दो महीने के बाद एक-दूसरे से मिले थे.
-कर्नल अमित औल
आगे बताया,
जब सैनिक युद्ध के लिए जाते हैं, तो अपने परिवार के लिए एक ख़त लिखते हैं. वो ख़त मैंने अपनी यूनिट को पोस्ट किया था. ये ख़त परिवार को तब दिया जाता है, जब सैनिक युद्ध में शहीद हो जाएं.
-कर्नल अमित औल
जब जनरल औल से पूछा गया कि क्या उन्हें अपने इकलौते बेटे की चिंता नहीं थी, तो उन्होंने कहा,
युद्ध में ऐसे विचारों के लिए कोई जगह नहीं है. वो एक सैनिक था और आदेशों का पालन कर रहा था, जोकि हर सैनिक को करना चाहिए. मुझे गर्व है कि उसने बहादुरी से युद्ध लड़ा और इसके लिए उसे पदक भी मिला.
-लेफ़्टिनेंट जनरल एएन औल
तो वहीं, जनरल औल की पत्नी और अमित की मां बीना कौल कहती हैं, 1999 के इन ढाई महीनों में उन्होंने अपने पूरे जीवन भर की प्रार्थनाएं कर डाली थीं.
आपको बता दें कि, इन दोनों को सेना में बहादुरी के लिए पदकों से सम्मानित किया गया है. जनरल औल को उत्तम युद्ध सेवा मेडल (UYSM) और अमित को सेना मेडल से सम्मानित किया जा चुका है.