औरत, महिला और स्त्री जैसे नामों से जाने जाने वाले इस जेंडर को शक्ति के नाम से भी जाना जाता है. इसी शक्ति का प्रतीक हैं झारखंड की छुटनी देवी. छुटनी देवी को उनके सराहनीय कार्य के लिए देश के सबसे बड़े सम्मान पद्श्री ने नवाज़ा गया है.
मगर छुटनी देवी की ज़िंदगी आसान नहीं थी. शादी के 16 साल बाद उनके गांव में आए एक तांत्रिक ने उन्हें डायन करार दे दिया. गांव वालों ने उन्हें मल खिलाने की कोशिश की और जान से मारने की योजना बनाई. लेकिन उससे ठीक पहले छुटनी देवी अपने 4 बच्चों को लेकर गांव से फ़रार हो गईं, जिसके बाद कुछ वक़्त उन्होंने जंगल में बिताया और वहां से अपने मायके चली गईं.
इसके बाद उन्होंने अपने जैसी प्रताड़ित महिलाओं को बचाने के लिए एक संगठन बनाया. अब तक वो सौ से ज़्यादा औरतों को बचा चुकी है. उनका संगठन पीड़ित महिलाओं का केस लड़ता है. इसके अलावा ये भी ध्यान रखता है कि और महिलाओं को इस प्रताड़ना से बचाया जाए. छुटनी देवी के इस संगठन में करीब 70 से ज़्यादा लोग काम करते हैं.
छुटनी देवी को पद्मश्री के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने बताया कि उन्हें एक कॉल आई जिसमें उनसे इस अवॉर्ड मिलने की बात कही गई, लेकिन अपने कामों में व्यस्त होने के कारण उन्होंने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब दोबारा कॉल आई तब उन्हें इस अवॉर्ड के बारे में पता चला.