दिल्ली की राउज़ एवेन्यू स्पेशल कोर्ट ने जर्नलिस्ट प्रिया रमानी को पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की तरफ़ से दायर मानहानि के मामले में बरी कर दिया है. प्रिया ने साल 2018 में मोदी सरकार में मंत्री रहे एमजे अकबर पर यौन शोषण के आरोप लगाया था.
Delhi Court acquits journalist Priya Ramani in criminal defamation case filed by former Union Minister MJ Akbar against her pic.twitter.com/Uv23xiESuQ
— ANI (@ANI) February 17, 2021
इस दैरान राउज एवेन्यू स्पेशल कोर्ट ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि, अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को दुनिया के सामने रखना किसी भी तरह का अपराध नहीं है. पीड़ित महिला को दशकों बाद भी अपनी शिकायत दर्ज करवाने का पूरा अधिकार है.

कौन हैं प्रिया रमानी?
प्रिया रमानी भारतीय पत्रकार हैं. इसके अलावा वो राइटर और एडिटर भी हैं. साल 2018 में जब उन्होंने अपने पूर्व संपादक एमजे अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाया तब उनका नाम चर्चा में आया. इस दौरान प्रिया ने न सिर्फ़ #metoo कैंपेन में भी हिस्सा लिया, बल्कि पूरी दुनिया को अपने साथ हुए यौन शोषण की कहानी बताई. प्रिया पेशे से पत्रकार हैं. इसके अलावा प्रिया ने अक्टूबर 2020 में इंस्टाग्राम पर India Love Project शुरू किया था.

क्या है पूरा मामला?
साल 2018 में जब देश में #MeToo कैम्पेन शुरू हुआ था, तब जर्नलिस्ट प्रिया रमानी ने भी एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. इस पर एमजे अकबर ने प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ मानहानि का केस किया था. इस दौरान रमानी ने जिस घटना का हवाला दिया था वो 2 दशक पुरानी थी. तब अकबर जर्नलिस्ट हुआ करते थे और प्रिया उनकी जूनियर थीं. 20 साल बाद जब रमानी ने अकबर के नाम का ख़ुलासा किया था, तब वो मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री थे.

क्या थे प्रिया का आरोप?
प्रिया के मुताबिक़, 20 साल पहले जब वो बतौर पत्रकार एमजे अकबर के साथ काम कर रही थीं, तब उनका यौन शोषण हुआ था. प्रिया के बाद क़रीब 20 अन्य महिला पत्रकार भी सामने आईं और उन्होंने भी एमजे अकबर पर इसी तरह के आरोप लगाए. हालांकि, एमजे अकबर शुरू से ही इन आरोपों को ख़ारिज़ करते रहे हैं.

अकबर ने क्यों दायर किया था केस?
प्रिया के आरोपों के बाद एमजे अकबर पर इस्तीफ़े का दबाव बढ़ गया था. 15 अक्टूबर 2018 को अकबर ने प्रिया के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद 17 अक्टूबर को उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया.

इस फ़ैसले पर जर्नलिस्ट प्रिया रमानी ने कहा, ‘मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि अदालत में मेरी सच्चाई साबित हुई’.