Who is Professor PN Oak: इस वक़्त ताजमहल का विवाद काफ़ी तेज़ी पकड़ रहा है. जिस-जिस के पास ये ख़बर जा रही है वो सकते में है कि क्या सच में ताजमहल कभी ‘तेजो महालय’ हुआ करता था और क्या यहां शिव मंदिर था, क्योंकि अब तक किताबों में यही पढ़ते और जानते आए हैं कि शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज़ के लिए ताजमहल का निर्माण करवाया था.
आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं Who is Professor PN Oak.
2017 में भी उठा था ताजमहल पर विवाद

वर्तमान विवाद नया नहीं बल्कि 2017 में भी ताजमहल का नाम बदलवाने की मांग की गई थी. बीबीसी के अनुसार, बीजेपी नेता विनय कटियार ने ताजमहल का नाम बदलवाने की मांग की थी. उनका कहना था कि इसका निर्माण एक हिन्दू शासक ने किया था. उस दौरान ये विवाद काफ़ी चर्चा में आया और कई लोगों से इसका समर्थन भी किया था.
क्या कहता है भारत का पुरातात्विक विभाग

देश के स्मारकों का संरक्षक ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण’ ताजमहल को मुगल वास्तुकला के रूप में वर्णित करता है. वहीं, ताजमहल की ऑफ़िशियल वेबसाइट भी इसे मुगल वास्तुकला सबसे अच्छे उदाहरण के रूप में बताती है. साथ ही ये भी कहती है कि ‘ताजमहल एक सम्राट की उसकी पसंदीदा रानी के लिए शाश्वत प्रेम की कथा है’.
ताजमहल से पहले यहां थी एक हवेली

बीबीसी से बात करते करते हुए इतिहासकार Rana Safvi ने कहा था कि “ऐसा कुछ प्रमाण नहीं मिलता कि यहां कभी कोई मंदिर था. लेकिन, ताजमहल से पहले वहां जय सिंह नाम के राजा की एक हवेली थी.” वहीं, मुग़ल बादशाह शाहजहां ने आधीकारिक रूप से वो ज़मीन राजा जय सिंह से ली थी.”
प्रोफ़ेसर पी.एन. ओक

Who is Professor PN Oak : अब आपको बताते हैं उस प्रोफ़ेसर के बारे में जिसकी एक किताब से ही ताजमहल पर पूरा विवाद शुरू हुआ था और जो आज भी जारी है. उस प्रोफ़ेसर का नाम था पी.एन. ओक पूरा नाम पुरुषोत्तम नागेश ओक. पी.एन. ओक ने 1989 में एक किताब लिखी थी “Taj Mahal: The True Story.” इस किताब में उन्होंने दावा किया था कि ताजमहल एक मंदिर था और महल किसी राजपूत शासक ने बनवाया था. वहीं, प्रोफ़ेसर ओक का मानना था कि शाहजहां ने एक युद्ध के बाद संरचना को जब्त कर लिया था और बाद में इसका नाम बदलकर ताजमहल कर दिया.
अंग्रेज़ों के खिलाफ़ लड़ाई में हुआ थे शामिल

Who is Professor PN Oak: प्रोफ़ेसर का जन्म 2 मार्च 1917 को ब्रिटिश भारत के इंदौर में हुआ था. जानकारी के अनुसार, उन्होंने एम.ए के साथ एल.एल.बी की पढ़ाई की थी. वहीं, मीडिया रिपोर्टस की मानें, तो उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इंडियन नेशनल आर्मी को ज्वाइन किया था और जापान के साथ अंग्रेज़ों से लड़ाई की थी. भारत की आज़ादी के बाद उन्होंने कई अंग्रेजी अख़बारों में काम किया था. साथ ही भारतीय केंद्रीय रेडियो और जन मंत्रालय में काम भी किया. इसके अलावा, उन्होंने 1957 से 1959 तक भारत के अमेरिकी दूतावास में भी काम किया. वहीं, उनका निधन 7 दिसंबर 2007 को महाराष्ट्र के पुणे शहर में हो गया था.
कर चुके हैं कई अन्य दावे

एक वेबसाइट की मानें, तो पुरुषोत्तम नागेश ओक कई अन्य तरह के दावे कर चुके हैं. उनका कहना था कि इस्लाम और ईसाई धर्म हिन्दू धर्म के व्युत्पन्न यानी डेरिवेटिव हैं. इसके अलावा, उन्होंने ताजमहल के साथ काबा और वेटिकन सिटी को भी हिन्दू मंदिर बताया था.