बीते शनिवार को दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरु की 22 वर्षीय क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि को ‘टूलकिट’ मामले में गिरफ़्तार किया था. इसके बाद रविवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दिशा को 5 दिनों की रिमांड पर दिल्ली पुलिस को सौंपा दिया था.
Disha Ravi, arrested by CyPAD Delhi Police, is an Editor of the Toolkit Google Doc & key conspirator in document’s formulation & dissemination. She started WhatsApp Group & collaborated to make the Toolkit doc. She worked closely with them to draft the Doc. @PMOIndia @HMOIndia https://t.co/e8QGkyDIVv
— #DilKiPolice Delhi Police (@DelhiPolice) February 14, 2021
बता दें कि दिशा रवि पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने ‘किसान आंदोलन’ के समर्थन में बनाई गई ‘टूलकिट’ को एडिट किया है और उसे सोशल मीडिया पर शेयर किया है. ये वही टूलकिट है, जिसे स्वीडिश क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था.

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने आपराधिक साजिश रचने के आरोप में ‘टूलकिट’ के एडिटरों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा-124A, 153A, 153, 120B के तहत केस दर्ज किया था. हालांकि, इसमें किसी का भी नाम शामिल नहीं किया गया था.

दिल्ली पुलिस ने ट्वीट कर कहा है कि दिशा रवि उस ‘टूलकिट’ की एडिटर हैं और उस दस्तावेज़ को तैयार करने से लेकर उसे सोशल मीडिया पर साझा करने वाली मुख्य साज़िशकर्ता हैं. ‘टूलकिट’ मामला खालिस्तानी ग्रुप को दोबारा खड़ा करने और भारत सरकार के ख़िलाफ़ एक बड़ी साजिश है.
Later, she asked Greta to remove the main Doc after its incriminating details accidentally got into public domain. This is many times more than the 2 lines editing that she claims.@PMOIndia @HMOIndia @LtGovDelhi @CPDelhi
— #DilKiPolice Delhi Police (@DelhiPolice) February 14, 2021
कौन हैं दिशा रवि?
22 वर्षीय क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि बेंगलुरु के एक निजी कॉलेज से बीबीए की डिग्री धारक हैं. इसके साथ ही वो ‘फ्राइडेज फ़ॉर फ्यूचर इंडिया’ नामक संगठन की संस्थापक सदस्य भी हैं. दिशा ‘गुड वेगन मिल्क’ नाम की एक संस्था में भी काम करती हैं. इस संस्था का उद्देश्य प्लांट बेस्ड फूड (वेजिटेरियन) को सस्ता और सुलभ बनाना है. ये संस्था फ़ार्मिंग में पशुओं के इस्तेमाल को खत्म कर उन्हें भी जीने का अधिकार देने पर भी काम करती है.

आख़िर क्या है टूलकिट?
किसी भी बड़े मुद्दे को समझाने के लिए बनाए गए डॉक्यूमेंट को ‘टूलकिट’ कहा जाता है. ये डॉक्यूमेंट इस बात की जानकारी देता है कि किसी समस्या के समाधान के लिए क्या किया जाना चाहिए? आसान शब्दों में कहें तो इसमें ‘एक्शन प्वाइंट’ दर्ज होते हैं. इसे ही ‘टूलकिट’ कहा जाता है. इसका इस्तेमाल सोशल मीडिया के संदर्भ में होता है, जिसमें सोशल मीडिया पर कैम्पेन स्ट्रैटजी के अलावा वास्तविक रूप में सामूहिक प्रदर्शन या आंदोलन करने से जुड़ी जानकारी भी दी जाती है.

ग़ौरतलब है कि वर्तमान दौर में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जो भी आंदोलन हो रहे हैं, हों सभी आंदोलनों से जुड़े लोग ‘टूलकिट’ के ज़रिए ही ‘एक्शन पॉइंट्स’ तैयार करते हैं, और आंदोलनों को आगे बढ़ाते हैं.