आज़ाद भारत में फांसी पाने वाली पहली महिला हो सकती है, शबनम. 2008 में शबनम ने अपने ही परिवार के 7 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी.
शबनम ने सुप्रीम कोर्ट में लोअर कोर्ट के फ़ैसले को चैलेंज किया था. सुप्रीम कोर्ट ने लोअर कोर्ट के फ़ैसले को बरक़रार रखा. इसके बाद शबनम और सलीम ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी थी, राष्ट्रपति ने याचिका ख़ारिज कर दी. अब शबनम की फांसी की तारीख़ आ सकती है. शबनम बरैली जेल में क़ैद है और सलीम आगरा जेल में.
उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले का गांव बावनखेड़ी, जहां कोई भी अपनी बेटी का नाम ‘शबनम’ नहीं रखता. शबनम… यहां के लोगों के लिए ख़ौफ़ का दूसरा नाम है.
कौन है शबनम?
एक डबल एम.ए. होल्डर, आर्थिक रूप से सबल घर की बेटी है शबनम. गांव के स्कूल में पढ़ाने वाली शबनम, सभी छात्रों की पसंदीदा शिक्षिका थी.
क्या हुआ शबनम के साथ?
अप्रैल 14-15, 2008
शबनम के घर में 7 लोगों की हत्या हो गई मगर शबनम को एक ख़रोंच तक नहीं आई. परिवार के सभी लोग मारे गए, बच गई तो सिर्फ़ 25 वर्षीय शबनम और उसके पेट में पल रहा है शिशु.
इस घटना से सब तरफ़ हड़कंप मच गया. आस-पास के गांववाले, पुलिस, मीडिया सभी मौक़े पर पहुंचे. शबनम ने रोते-चिल्लाते हुए सभी को बताया कि लुटेरे घर में घुसे और सभी को बेरहमी से मार डाला, वो बच गई क्योंकि वो बाथरूम में थी.
मामला इतना बड़ा हो गया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री, मायावती भी शबनम को सांत्वना देने पहुंची.
विभत्स हत्याकांड के बाद क्या हुआ?
एक ऐसा हत्याकांड जिसमें एक पूरा परिवार ख़त्म हो गया, जिसने भी सुना, देखा दहल गया. बहरहाल, पुलिस ने लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और लुटेरों को ढूंढने लगी. पुलिस को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अगर लुटेरे घर में लूट-पाट के इरादे से घुसे थे, तो कोई भी सामान इधर-उधर क्यों नहीं है?
शबनम की कॉल-डीटेल्स की भी जांच की गई, जिसमें पता चला कि शबनम ने एक ही नंबर पर, किसी सलीम से काफ़ी बार बातें की थी और हत्या की रात भी कई बार बात की थी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई जिसमें मृतकों के शरीर में ज़हर के अवशेष पाए गए.
शक़ की सुई गई परिवार के इकलौते जीवित सदस्य पर
पुलिस की शक़ की सुई शबनम पर ही जाकर रुक रही थी मगर कोई पुख़्ता सबूत नहीं थे. पुलिस ने कड़ाई से पूछा और शबनम ने वो सच बताए, जिसे सुनकर पुलिस के भी रौंगटे खड़े गए.
क्यों नहीं देता कोई अपनी बच्ची का नाम ‘शबनम’?
पुलिस ने सख़्ती से पूछा तो शबनम में अपना जुर्म क़ुबूल कर लिया. 2008 में शबनम के घर पर लुटेरे नहीं आए थे बल्कि शबनम ने ही अपने परिवार की ज़िन्दगी ली थी.
शबनम को सलीम से प्रेम था लेकिन दोनों के परिवारों को ये रिश्ता नामंज़ूर था. सलीम 10वीं पास भी नहीं था और न ही उसके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी थी जबकि शबनम अच्छे घर से थी. सलीम पठान था और शबनम सूफ़ी परिवार से थी. इन दोनों ने मिलकर ही शबनम के पूरे परिवार की हत्या कर दी. मरने वालों में एक 8 महीने का बच्चा भी था. जिस कुल्हाड़ी से हत्याएं की गई थी सलीम ने उसका पता भी बताया और वो बरामद कर ली गई.
दोनों को मिली फांसी की सज़ा
TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, शबनम मोरादाबाद की एक जेल में है. जब दोनों को कोर्ट में पेश किया तो दोनों एक-दूसरे के ख़िलाफ़ हो गए. दोनों को ही हत्या के आरोप में निचली अदालत ने फांसी की सज़ा दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरक़रार रखा.
दोनों ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को याचिका भेजी थी जिसे पूर्व राष्ट्रपति ने ख़ारिज कर दिया था.
शबनम के वक़ील ने अब एपेक्स कोर्ट में Review Petition डाला है. अगर ये ख़ारिज हो गया, तो आज़ाद भारत में फांसी की सज़ा पाने वाली पहली महिला होगी शबनम. इसी तरह का Petition सलीम ने भी फ़ाइल किया है.
शबनम ने जेल में ही बेटे को जन्म दिया था, जो अब एक पत्रकार के पास रहता है. इस्लाम गोद लेने की इजाज़त नहीं देता इसलीए ये पत्रकार शबनम के बेटे को गोद नहीं ले सकता. शबनम अपने बेटे को जेल से ही चिट्ठियां भेजती है.
शबनम के बेटे को उसकी मां के सच के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है. शबनम को सज़ा मिलेगी या नहीं, ये कुछ ही हफ़्तों में पता चल जाएगा.