एशिया का सबसे बड़ा स्लम है मुंबई का धारावी. यहां छोटे-छोटे घरों में क़रीब 8.5 लाख लोग रहते हैं. ये वो एरिया था जिससे कोरोना वायरस ने बहुत तेज़ी से अपनी चपेट में ले लिया था. कोविड-19 के रोज़ाना बढ़ते मरीज़ों के चलते इसे मुंबई का वुहान कहा जाने लगा था. मगर बीएमसी और महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने समय-समय पर इस वायरस से बचने के लिए उपाय किए, जिसके चलते यहां बीते कुछ दिनों में एक भी कोरोना का केस नहीं मिला है.

मुबंई के धारावी मॉडल ने जिस तरह से इस महामारी को अपने मज़बूत हौसले से काबू किया है, उसकी अब चारों तरफ तारीफ़ हो रही है. यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोरोना को काबू करने के लिए इसकी प्रशंसा की है.

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WHO के महानिदेशक डॉ. Tedros Adhanom ने इस बारे में ट्विट करते हुए लिखा- ‘पूरी दुनिया में ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जो कभी कोविड-19 के हॉटस्पॉट थे, लेकिन इसे फिर भी कंट्रोल कर दुनिया के सामने नज़ीर पेश की है. इनमें से कुछ उदाहरण है इटली, स्पेन, दक्षिण कोरिया और यहां तक कि धारावी भी जो कभी काफ़ी घना इलाका है जनसंख्या के लिहाज़ से. सामुदायिक मेल-मिलाप को सख्ती से रोककर, परीक्षण, ट्रेसिंग, आइसोलेशन और पीड़ित लोगों के इलाज पर फ़ोकस कर ये सभी कोरोना वायरस को फैलने से रोक पाए हैं.’

WHO द्वारा धारावी की तारीफ़ करने के बाद भारतीय लोग काफ़ी ख़ुश हैं. उन्होंने भी सोशल मीडिया के ज़रिये कोरोना वायरस पर काबू करने के लिए धारावी को बधाई दी है.

कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि धारावी में जून में औसतन रोज़ाना 18 कोरोना के मरीज़ मिल रहे थे. लेकिन 8 जुलाई को वहां सिर्फ़ एक मामला सामने आया था और बीते कुछ दिनों से एक भी कोरोना वायरस का नया केस सामने नहीं आया है. कोरोना वायरस को काबू करने वाले धारावी के इस मॉडल को अब दूसरे राज्यों में भी लागू करने की बात हो रही है. 

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कोरोना वायरस पर धारावी ने जिस तरह से फ़तेह हासिल की है वो हमारे अंदर उम्मीद जगाती है कि इस ख़तरनाक वायरस को हराया जा सकता है.

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