देशभर में जब से ‘संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट’ लागू हुआ है हर दिन चालान कटने की नई-नई ख़बरें आ रही हैं. वाहन चालकों से हर दिन कोई नया नियम सुनने को मिल रहा है. 

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हर चौपहिया वाहन में ‘फ़र्स्ट ऐड बॉक्स’ होना ज़रूरी होता है ये तो आप सभी को मालूम ही होगा. ये भी ‘मोटर व्हीकल एक्ट’ के अंतर्गत आता है. इन दिनों दिल्ली में आपको बड़ी संख्या में ऐसे कैब ड्राइवर मिल जाएंगे जो गाड़ी में ‘फ़र्स्ट ऐड बॉक्स’ लेकर चल रहे हैं. 

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इस बॉक्स में डेटॉल, पैरासिटामॉल टैबलेट्स, बैंडेज और कॉन्डम रखना ज़रूरी है. कॉन्डम! अब आप सोच रहे होंगे कॉन्डम रखना क्यों ज़रूरी है? इसके पीछे भी कारण है. वो हम आपको आख़िर में बताएंगे.   

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दिल्ली के अधिकतर कैब ड्राइवरों का कहना है कि ‘फ़र्स्ट ऐड बॉक्स’ में कॉन्डम नहीं रखने पर पुलिसवाले उनका चालान काट देते हैं. इसलिए हर कैब ड्राइवर को ‘फ़र्स्ट ऐड बॉक्स’ में कॉन्डम रखने पड़ रहे हैं. हालांकि, ड्रावइरों को कॉन्डम रखने के बारे में कोई जानकारी नहीं है. 

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दिल्ली की ‘सर्वोदय ड्राइवर असोसिएशन’ के प्रेजिडेंट कमलजीत गिल ने बताया, ‘सभी सार्वजनिक वाहनों के ड्राइवरों को हर समय कम से कम तीन कॉन्डम लेकर चलना ज़रूरी है’. इसका इस्तेमाल किसी की हड्डी में चोट आने या फिर कट लगने पर किया जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति को ब्लीडिंग होने लगती है तो कॉन्डम के ज़रिए इसे रोका जा सकता है. इसी तरह फ़्रैक्चर होने की स्थिति में उस जगह पर अस्पताल पहुंचने तक कॉन्डम बांधा जा सकता है’.   

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हालांकि, ट्रैफ़िक नियमों के तहत ‘फ़र्स्ट ऐड बॉक्स’ में कॉन्डम रखना ज़रूरी नहीं है. फ़िटनेस टेस्ट के दौरान भी ऐसी कोई पड़ताल नहीं की जाती है. 

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इस पर दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी का कहना था कि यदि कॉन्डम न रखने पर चालान होता है तो कैब ड्राइवरों को अथॉरिटीज से संपर्क करना चाहि. कई बार एनजीओ वर्कर ड्राइवरों को सेफ़ सेक्स के बारे में बताते हैं. शायद इसी वजह से वो कॉन्डम रखते हों, लेकिन दिल्ली मोटर वीइकल रूल्स, 1993 और सेंट्रल मोटर वीइकल रूल्स, 1989 में भी इसका कोई ज़िक्र नहीं है.