मायानगरी मुंबई… कहते हैं कि यह शहर कभी सोता नहीं. देश की आर्थिक राजधानी, मुंबई. न जाने कितने ही लोगों के सपनों को पूरा करने का दारोमदार है इस शहर पर.

एक उत्तर भारतीय होने के नाते ये एक बहुत ही भरोसे से भरी बात है कि इस शहर के लोग एक-दूसरे के बारे में इतना सोचते हैं! लेकिन इसके साथ ही मुम्बई स्पिरिट को लेकर एक सवाल है जो बार-बार मन में आता है. मुंबई स्पिरिट अच्छी है, बहुत अच्छी है. शायद इसके बिना मुंबई वाले क्या किसी भी जगह के लोग ज़िंदा नहीं रह सकेंगे. सवाल ये है कि ‘स्पिरिट’ के नाम पर हम कब तक चीजों को सहते रहेंगे. धमाके हुए, पुल गिरे. हर साल बारिश के दिनों में पूरी मुंबई पानी में डूब जाती है. मुश्किल घड़ी में एक दूसरे का हाथ पकड़कर मदद करना अच्छा है. लेकिन यही हाथ एक दूसरे को थाम कर कोई बड़ा विरोध करने क्यों नहीं खड़े हो जाते? क्यों हम एक दूसरे का साथ देकर बेसिक चीजों के लिए अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ते?

BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्पिरीट ऑफ़ मुंबई शब्द/ एहसास 1993 मुंबई हमलों के बाद आया. 12 मार्च 1993 को 13 ब्लास्ट्स ने 250 से मासूम जानें ले ली थी और 1400 से ज़्यादा लोगों को घायल कर दिया था. इन धमाकों ने मुंबई को घुटनों पर ला दिया था, यहां की कई मशहूर बिल्डिंग्स को टारगेट किया गया था. विपत्ति की इस घड़ी में मुंबई के लोगों ने ही एक-दूसरे को सहारा दिया था. ज़ख़्मियों को अस्पताल पहुंचाने से लेकर ब्लड बैंक्स में लंबी लाइनें लगाने तक मुंबई के लोगों ने इंसानियत की मिसाल पेश की थी.

2006 के मुंबई लोकल के धमाकों और 2008 के आतंकवादी हमलों के बाद मुंबई के लोगों ने फिर से दुनिया को मुंबई स्पिरिट दिखाई.

लेकिन शायद अब वो वक़्त है जब हमें ‘स्पिरिट’ से एक कदम आगे बढ़ना चाहिए. क्योंकि ये स्पिरीट जो कभी लोगों को Motivate करता था आज आलोचना का विषय बन गया है. यहां तक कि मुंबई के लोग ही इस टैग से नाख़ुश हैं-
If ANYONE, I repeat, ANYONE opens up this ‘Spirit of Mumbai’ can, I will personally wade my way through this gutter water and snarling traffuck to meet you and break your face. We are resilient by force. Not by choice.
— Rum (@KaapiRight) July 2, 2019
Only in India and especially #Mumbai, the same problem visits us annually. @mybmc does nothing, yet the public votes them in. #MumbaiRains #mumbaimonsoon #MumbaiRainsLive #spiritofmumbai🔔 #borivali #iccolony pic.twitter.com/8DsOwQLKur
— The Rum Keg (@rohanldias) July 1, 2019
#SpiritOfMumbai has become a symbol for doormat!
— Bhasmasur (@Bhasmasuur) July 2, 2019
🤮
BMC fails to do their job to test #SpiritOfMumbai every year!???
— SoVa (@sonalvk) July 1, 2019
Why aren’t we equipped to handle situations like these?
When will the news ever say ‘inspite of heavy rains, Mumbai manages to operate smoothly’?#MumbaiRains
I am tired of hearing about the #SpiritOfMumbai. Just because the citizens are resilient doesn’t mean the authorities do nothing. The flooding have been a problem for as long as I can remember.
— Gareth. (@GarethEswin) July 2, 2019
The Free Press Journal की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेटर मुंबई की म्युनिसपैलटी कॉरोपोरेशन एशिया की सबसे अमीर म्युनिसपैलटी है. एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार ब्रीहमनमुंबई म्युनिसपल कॉरपोरेशन देश की सबसे अमीर म्युनिसपैलटी है. 2017 में इसने 30 हज़ार करोड़ का बजट पेश किया था. इसके बावजूद हर साल मुंबई का ज़्यादातर इलाका पानी में डूब जाता है. सालों से यहां के लोग नेताओं की नाकामी के बावजूद उन्हीं को वोट देते आ रहे हैं.

मुंबई की बारिश, ट्रैफ़िक और रास्तों के गड्ढों पर रेड एफ़एम की आरजे मलिश्का ने पिछले साल एक गाना बनाया था.
गाने का असर मुंबईवालों और बीएमसी वालों पर भी हुआ. आर जे मलिश्का के घर पर वे ‘मच्छर’ खोजते हुए पहुंच गए थे. हां गड्ढे भी जस के तस हैं और बारिश में जलभराव भी.