जयराज और बेनिक्स.


आप में से कुछ लोगों ने ये नाम सुने होंगे, पढ़े होंगे. कुछ ने ज़हमत उठाई होगी ढूंढकर इनके बारे में पढ़ने की. ढूंढकर इसलिए क्योंकि इन दो नामों को हमारे यहां कि मीडिया ने उतना तवज्जोह नहीं दिया, जिनके ये हक़दार हैं. 

चलिए हम बता देते हैं,Thoothukudi के साथानकुलम के जयराज और बेनिक्स की मौत पुलिस कस्टडी में हुई. जयराज का क़ुसूर था कि उन्होंने अपनी दुकान रात के 9 बजे बाद तक खोलकर रखी और बेनिक्स का क़ुसूर था कि वो अपने पिता के पीछे थाने पहुंचे थे.    

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रिपोर्ट्स के मुताबिक़, पुलिस वालों ने दोनों को टॉर्चर किये. दोनों के घुटने फोड़ दिये गये, दोनों के साथ एनल रेप किया गया, दोनों के प्राइवेट पार्ट्स पूरी तरह ज़ख़्मी पाये गये. सरकारी डॉक्टर ने उन्हें गिरफ़्तारी के लिए ‘फ़िट’ घोषित किया, मेजिस्ट्रेट ने दोनों को ज़ख़्मी हालत में भी कस्टडी में रखने का हुक़्म दिया और जेल के अधिकारियों ने ख़ून बहते ज़ख़्मों के बावजूद उन्हें जेल में डाला. 


The News Minute की रिपोर्ट के अनुसार, कई चश्मदीदों का कहना है कि शुक्रवार, 19 जून को साथानकुलम पुलिस जयराज को थाने ले गई, एक मसले पर पूछताछ करने के लिए. जयराज की दुकान के पास पुलिस और कुछ लोगों में कुछ दिनों पहले अनबन हुई थी. 

बेनिक्स, अपने दोस्त के साथ पिता के पीछे थाने पहुंचा. बेनिक्स को कुछ देर इंतज़ार करवाने के बाद पुलिसवालों ने उसे पूछताछ के लिए अंदर बुलाया. पुलिस ने जब पिता के असॉल्ट पर सवाल उठाये तो पुलिस ने उसे भी पीटा. बेनिक्स के दोस्त को अंदर जाने नहीं दिया गया और 20 जून तक दोनों से मिलने नहीं दिया गया.  

इस घटना का पुलिसिया वर्ज़न काफ़ी अजीब है और कई प्रश्न खड़े करता है. पुलिस का कहना है कि दोनों बाप-बेटे ने दुकान बंद करने के आदेश को अनसुना किया था और पुलिस को गालियां और जान से मारने की धमकी दी थी. यहीं नहीं पुलिस ने दोनों पर जो FIR दर्ज की है उसमें कहा गया कि दोनों ज़मीन पर लोटने लगे, जिनसे उन्हें इंटर्नल इंजरी हुई.


चश्मदीदों का कहना है कि दोनों को अलग-अलग समय पर उठाया गया. थाने के बाहर ख़ड़े बेनिक्स के दोस्तों का कहना है कि उन्होंने पुलिस को ‘हमारे ख़िलाफ़ बोलने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई’ बोलते सुना था. चश्मदीदों का ये भी कहना है कि पुलिस वॉलंटीयर्स ने भी दोनों को फ़िज़िकली असॉल्ट किया.   

The News Minute से बात-चीत में जयराज और बेनिक्स के बेल की अपील करने वाले वक़ील मणिमरन ने कहा कि दोनों को इतनी बुरी तरह पीटा गया कि दोनों को 6 लुंगियां बदलनी पड़ी.  


22 जून को कोविलपट्टी सरकारी अस्पताल में बेनिक्स ने सीने में दर्द की शिकायत के बाद दम तोड़ दिया और 23 जून को सुबह जयराज ने भी आख़िरी सांसें ली

ग़ौरतलब है कि इस पूरे मामले में 2 सब इंस्पेक्टर को सिर्फ़ सस्पेंड किया गया है. पुलिस महकमे पर कोई FIR नहीं हुई है. 

क्या आप सोच सकते हैं, सिर्फ़ दुकान खुली रखने की कितनी बड़ी सज़ा मिली एक शख़्स को और अपने पिता के पीछे थाने जाने के लिए एक बेटे को कितनी भयंकर मौत दी गई.  

अब एक दूसरी घटना पर बात करते हैं. 

जॉर्ड फ़्लॉयड, Black Lives Matter, ये सब नाम आपने अपने सोशल मीडिया फ़ीड्स, न्यूज़ ऐप अपडेट्स में बीते दिनों पढ़े ही होंगे.


जॉर्ज फ़्लॉयड की गर्दन पर एक पुलिसवाले ने घुटना रखा और दम घुटने से उसकी मौत हो गई. इसके बाद ही अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में Black Lives Matter की आवाज़ें बुलंद हो गई. कोविड-19 के कारण सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने की नसीहतें न मानते हुए लाखों लोग फ़्लॉयड को इंसाफ़ दिलाने के लिए सड़कों पर उतरे. 

भारत में भी सोशल मीडिया पर सेलेब्स से लेकर आम नागरिक तक ने बहुत कुछ लिखा. रंगभेद और नस्लभेद पर फिर से बात होने लगी जो कि सही है, होनी ही चाहिए.  

Al Jazeera

दोनों घटनाएं एक ही दिशा में इशारा करती हैं, पुलिस बर्बरता की दिशा में. जहां एक शख़्स की मौत का कारण कहीं न कहीं उसके देह का रंग था दूसरे केस में मौत की वजह अब तक नहीं पता चली है. जहां एक केस में दुनिया भर ने आवाज़ उठाया, वहीं अपने ही देश में पुलिस कस्टडी में हुए रूह कंपाने वाली मौत पर हम सब मौन साधे बैठे हैं.


कुछ एक सेलेब्स को छोड़कर, ज़्यादातर लोग चुप्पी साधे बैठे हैं. पुलिस की बर्बर पिटाई वाली फ़िल्मों पर तालियां पीटने वाले एक कोने में बैठे हैं. अपने देश में पुलिस बर्बरता का ये पहला केस नहीं है और न ही आख़िरी होगा, जब तक आप और हम चुप बैठे रहेंगे. कुछ दिन ट्रेन्ड में रहने के बाद जयराज और बेनिक्स नाम आज ट्विटर से भी ग़ायब है. फ़ेयरनेस क्रीम के विज्ञापन करने वाले कई सेलेब्स ने फ़्लॉयड की हत्या पर चुप्पी तोड़ी थी पर जयराज और बेनिक्स की मौत पर हर एक महकमा आज शांत क्यों है?   

एक हंसता-खेलता परिवार बर्बाद हो गया, वंशों तक उस परिवार में ये स्मृति शेष रहेगी लेकिन हमारा लोकतंत्र इस परिवार को एक FIR देने, हमारा मीडिया प्राइम टाइम पर पुलिस बर्बरता पर बात करने से क्यों बच रहा है? 


सोचिए, बात करिए, जयदेव और बेनिक्स ही आख़िरी नहीं होंगे ये समझ लीजिएगा