अब बिना ऑप्शन देखे, तो ऐसा लगेगा कि इसका जवाब या तो इंडिया होगा या फिर चाइना. मगर हैरानी तब हुई, जब चारों ऑप्शन में इन दोनों ही देशों के नाम नहीं थे. ऑप्शन थे- क्वालालाम्पुर, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर और बैंकॉक.

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इस सवाल का सही जवाब था सिंगापुर. मगर क्यों और कैसे? आख़िर सिंगापुर में धोबी घाट नाम का मेट्रो स्टेशन कैसे बन गया. आज हम आपको इसी की कहानी बताएंगे.
19वीं सदी का इतिहास है वजह

नदी किनारे धोते थे कपड़े
कैसे पड़ गया स्टेशन का नाम ‘धोबी घाट’

दरअसल, यहां जो काम करने भारत से लोग आए, वो बाज़ार का हिस्सा बन गए और अपनी मेहनत के दम पर एक प्रभाव भी कायम कर लिया. वो यहां क़रीब 100 सालों तक काम करते रहे. आज सिंगापुर में धोबी घाट का कोई नामोनिशान तक नहीं है. मगर सिंगापुर इन लोगों को नहीं भूला.
ऐसे में जब सिंगापुर में मास रैपिड ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम के लिए एक अंटरग्राउंड स्टेशन बनाया गया था, तब इसका नाम धोबी घाट रखा गया. इस स्टेशन को 1987 में खोला गया था. ताकि, एक प्रमुख व्यवसायिक समुदाय, जिसने देश में सालों तक अपना योगदान दिया था, उसे याद रखा जाए.