Why Your Best Ideas Come in The Bathroom: क्या आपको भी बाथरूम में जाकर सोच-विचार करने में मज़ा आता है? क्या आपको झन्नाटेदार आइडिया बाथरूम में ही आते हैं? अगर ऐसा है तो आप अकेले नहीं. ज़्यादातर लोगों के साथ ऐसा ही होता है. लेकिन क्या ऐसा बाथरूम के माहौल की वजह से होता या फिर कुछ और चीज़ है. चिंता न करें, क्योंकि शोधकर्ताओं ने इसके पीछे की वजह तलाश ली है. बाकायदा दो एक्सपेरिमेंट भी किए गए हैं.
Zac Irving नाम के एक शोधकर्ता हैं, जो University of Virginia में philosophy of cognitive science पढ़ाते हैं. इन्होंने बताया कि किसी भी काम पर बहुत ज़्यादा कंस्ट्रेशन आपकी क्रिएटिविटी के लिए घातक हो सकता है. इनका कहना है कि अगर आप कोई प्रॉब्लम सॉल्व करना चाह रहे हैं तो लगातार उस पर काम मत करें. बेहतर है कि थोड़ा ब्रेक ले लें और कुछ दूसरी चीज़ करें जैसे बाथरूम में नहाना.
Why Your Best Ideas Come in The Bathroom–
अब होता ये है कि बाथरूम में आपका दिमाग़ एकदम फ़्री होता है. ऐसे में वो अलग-अलग चीज़ों के बारे में सोचता है, वो भी बिना कंस्ट्रेशन के. उस वक़्त आपके विचार हर दिशा में बहते हैं और आप अलग-अलग मुद्दों पर सोचते रहते हैं और ऐसे में अचानक ही कोई बेहतरीन आइडिया आने की संभावना ज़्यादा रहती है.
शोधकर्ताओं ने 222 लोगों पर किया एक्पेरिमेंट
Zac Irving के साथियों ने दो एक्पेरिमेंट डिज़ाइन किए. पहला प्रयोग 222 प्रतिभागियों पर बेस्ड था, जिनमें से अधिकांश महिलाएं थीं. शुरुआत मे इन प्रतिभागियों को 90 सेंकेड्स में एक ‘ईंट’ या ‘पेपरक्लिप’ के इस्तेमाल को लेकर नए आइडियाज़ लाने को कहा गया है.
फिर सबको रैंडम तरीके से टास्क बांट दिए गए. पहले ग्रुप को When Harry Met Sally फ़िल्म से तीन मिनट का सीन दिखाया गया. दूसरे ग्रुप को भी तीन मिनट का एक वीडियो दिखाया गया, लेकिन उसमें एक इंसान बस धोने के लिए कपड़े लेकर खड़ा था.
वीडियो देखने के बाद दोनों समूहों के 45 सेकेंड मिले, ताकि वो अपने पुराने टास्क में कोई नया आइडिया जोड़ सकें. अंत में पार्टिसिपेंट्स से पूछा गया कि वीडियो सेगमेंट के समय उनका दिमाग़ कितना चला. फिर पता चला कि जो लोग धोने के कपड़े लिए खड़े इंसान को देख रहे थे, वो बोर हो गए. लेकिन इस बीच उनके दिमाग में ज़्यादा बेहतर आइडिया आए. वहीं, जो लोग फ़िल्म का सीन देख रहे थे, उनके दिमाग में अच्छे आइडिया नहीं आए क्योंकि वो सीन बहुत इंगेजिंग था.
दूसरे एक्सपेरिमेंट से भी ऐसे ही नतीजे आए. इससे पता चला कि जब आपका दिमाग़ फ़्री होता है तो आप बेहतर आइडिया ला पाते हैं. चाहे वो बोरिंग वीडियो देखकर आए या फिर बाथरूम में आए. यही वजह है कि जब हम पैदल चलते हैं या फिर बागवानी वगैरह करते हैं तो भी हमारे दिमाग़ में अच्छे आइडियाज़ आते हैं. यानि जो काम हमें कम लेवल पर बिज़ी रखते हैं, उससे क्रिएटिविटी बढ़ती है.
बता दें, ये स्टडी हाल ही में में Psychology of Aesthetics, Creativity, and the Arts में पब्लिश हुई है.
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