कुछ साल पहले जब #MeToo की शुरुआत हुई थी, तब अलग-अलग फ़ील्ड से ऐसे कई नामचीं लोगों के नाम सेक्शुअल हैरेसमेंट में आये थे. इनमें से कई लोग हमारे आईडल हुआ करते थे और सच पूछिए कई लोगों की आंखों की पुतलियां चौड़ी होने के साथ ही दिल में बना वो इंस्पिरेशन का पुतला भी चकनाचूर हो गया था.

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उन नामों की आज बात नहीं करेंगे. आज बात करेंगे, ‘ख़ूब तनी हो, ख़ूब अड़ी हो, ख़ूब लड़ी हो प्रजातंत्र को कौन पूछता, तुम्हीं बड़ी हो’ लिखने वाले कवि बाबा नागार्जुन की. आपातकाल पर उनकी ये कविता आपने कहीं पढ़ी, किसी स्टेटस में रंगों से सजी या किसी स्टेज पर भाषण या वाद-विवाद के बीच ज़रूर सुनी होंगी.  


जो लोग साहित्य जगत से सरोकार रखते हैं वो नागार्जुन नाम से भली-भांति परिचित होंगे, लेकिन अब नागार्जुन के जीवन का एक अलग पहलू सामने आया है. 

गुनगुन थानवी ने फ़ेसबुक पोस्ट के ज़रिए नागार्जुन पर बाल यौन शोषण का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि 7 साल की उम्र में नागार्जुन ने उनके साथ यौन शोषण किया. 

और जैसा कि समाज का एक हिस्सा हमेशा से करता आया है कई लोग इस घटना पर महिला के ख़िलाफ़ खड़े हो गए हैं और तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं. लेकिन उम्मीद से भरी बात ये है कि सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग गुनगुन के साथ खड़े हैं. वे सवाल पूछने वालों से सवाल कर रहे हैं कि आपके लिए किसी ऐसी घटना पर औरत पर यकीन करना इतना मुश्किल क्यों है? 

नागार्जुन की कविताएं आज तक जैसे भी पढ़ते थे, आज के बाद न उस जैसी पढ़ी जायेगी न ही नागार्जुन को वैसे सम्मान ही देना संभव होगा.