पीरियड्स को लेकर आज भी हमारे समाज में कई अंधविश्वास हैं. आज भी कई घरों में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को घर की रसोई में भी प्रवेश करने नहीं दिया जाता. कई घरों में उन्हें 5 दिनों तक घर के एक कोने में रखा जाता है और अपने बच्चों को भी स्पर्श नहीं करने दिया जाता.
नेपाल में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को छोटी सी, बग़ैर खिड़की की झोपड़ी या पालतु पशुओं के पास रहना पड़ता है. कई बार उन्हें घर के बाथरूम को इस्तेमाल करने की भी इजाज़त नहीं दी जाती. इस प्रथा को ‘छाउपडी’ कहा जाता है. सरकार ने इस नियम को ग़ैरकानूनी घोषित किया है लेकिन कई ग्रामीण घरों में इस नियम का पालन किया जाता है.

BBC के अनुसार, नेपाल में ऐसी ही अवस्था में एक मां और उसके दो छोटे बच्चों की मृत्यु हो गई है. सर्दियों में गर्माहट के लिए महिला ने आग जलाई थी. झोपड़े में कोई खिड़की नहीं थी. आशंका जताई जा रही है कि दम घुटने की वजह से तीनों की मृत्यु हुई.
News 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, अंबा बोहारा अपने दो बेटों के साथ झोपड़ी में सोई थी. अगली सुबह जब उसकी सास ने झोपड़ा खोला तो तीनों मृत पाए गए. अंबा के कंबल का कुछ हिस्सा जल गया था और उसके पैरों पर भी जलने के निशान थे.
‘छाउपडी’ का पालन करते हुए ये पहली मौत नहीं है. इससे पहले 19 वर्ष की एक लड़की की सांप काटने से मृत्यु हो गई थी.

नेपाल सरकार ने किसी महिला से ज़बरदस्ती ‘छाउपडी’ का पालन करवाने वालों को पर 3000 नेपाली रुपए जुर्माना और 3 महीने तक जेल का कानून बनाया, मगर लोग अब भी महिलाओं को पीरियड्स होने की सज़ा दे रहे हैं.