विकास के तमाम दावों के बावजूद देश के कई विभाग आज भी ख़स्ता हाल स्थिति में अपना काम चला रहे हैं. ऐसे विभागों में सबसे आगे रहता है हमारे देश का स्वास्थ्य महकमा. आज़ादी के 70 साल बाद भी हमारी सरकारें आम आदमी को मूलभूत स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाएं देने में नाकाम रही हैं. हाल ही में देश के सबसे बड़े अस्पताल में भी ऐसा ही एक और मामला देखने को मिला, जहां इलाज़ के लिए गई महिला को अस्पताल वालों ने 2020 में इलाज़ करने का आश्वासन दे कर अपने हाल पर छोड़ दिया है.
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दरअसल, ब्रेन ट्यूमर की समस्या से पीड़ित 65 वर्षीय रामरती देवी की मेडिकल कंडिशन वर्तमान हालात में काफ़ी बिगड़ चुकी है. इस वजह से वो अपना इलाज़ करवाने के लिए दिल्ली के AIIMS अस्पताल में गई. लेकिन यहां के प्रशासन ने बेड की कमी का हवाला दे कर उन्हें सर्जरी के लिए आने के लिए तीन साल बाद की तारीख दे डाली है.
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बिहार के छपरा जिले की रहने वाली रामरती को पटना के एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स ने उनकी गंभीर हालत देखते हुए, AIIMS में जा कर इलाज़ करवाने के लिए भेजा था. रामरती डॉक्टरों के कहते ही अपने बेटे गुलाब ठाकुर के साथ दिल्ली आ गई. AIIMS के डॉक्टर ने चेकअप करने के बाद कहा कि उन्हें सर्जरी की ज़रूरत है. लेकिन अस्पताल में बेड की पर्याप्त उपलब्धता ना होने के कारण उन्हें सर्जरी के लिए 20 फरवरी 2020 की तारीख दे डाली.
गुलाब ने बताया कि उनकी मां को सिर में काफ़ी तेज़ दर्द होता है. धीरे-धीरे उनकी याददाश्त भी कमजोर होती जा रही है. ऐसे में समय पर इलाज़ नहीं किया गया, तो उनकी मां मर भी सकती है. आर्थिक हालत कमजोर होने की वजह से वो अपनी मां का किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज़ नहीं करवा सकते.
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इस पूरे मामले पर जब AIIMS के न्यूरोसर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर बीएस शर्मा से पूछा गया, तो उन्होंने बताया, अस्पताल में क्षमता से अधिक मरीज आते हैं. ऐसे में अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीज की स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए उन्हें इलाज के लिए तारीख दी जाती है. ज़्यादा लोगों के आने की वजह से यह लिस्ट कभी-कभी काफ़ी लंबी हो जाती है.
देश में समय-समय पर राजनीतिक नेतृत्व बदलता रहता है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े ऐसे ही अनेक मसलों की हालत आज भी जस की तस बनी हुई है.